प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किशोरावस्था में किए गए अपराध के आधार पर किसी को नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी बच्चे के सभी पिछले रिकॉर्ड विशेष परिस्थितियों में हटा दिए जाने चाहिए, ताकि ऐसे व्यक्ति के किशोर के रूप में किए गए किसी भी अपराध के संबंध में कोई कलंक न रह जाए. क्योंकि, किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य है कि किशोर को समाज में एक सामान्य व्यक्ति के रूप में वापस स्थापित किया जा सके. यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अभिषेक कुमार यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया.
मामले में याची की किशोरावस्था के दौरान 2010 में प्रयागराज जिले के सोरांव थाने में आईपीसी की धारा 354 ए 447 और 509 के तहत दर्ज मामले में आरोप तय किए गए थे. बाद में उसे आरोपों से बरी कर दिया गया था. याची ने रक्षा मंत्रालय विभाग के कैंटीन स्टोर इकाई की ओर से कनिष्ठ श्रेणी क्लर्क के लिए आवेदन किया था. वह चयनित हो गया. याची ने सत्यापन केदौरान अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर के बारे में जानकारी दी थी. इस आधार पर रक्षा मंत्रालय ने उसकी नियुक्ति को निरस्त कर दिया.