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वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर मामला: इलाहाबाद HC ने सुगम दर्शन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर में वीआईपी दर्शन की याचिका खारिज कर दी. इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर में आसान दर्शन की व्यवस्था को चुनौती दी गई थी, जो किसी भी व्यक्ति को दर्शन के प्रयोजनों के लिए कुछ राशि के भुगतान पर वीआईपी बनने की अनुमति देती है.

allahabad high court on kashi vishwanath temple
allahabad high court on kashi vishwanath temple

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Published : Dec 1, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 5:06 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court News) ने हाल ही में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सुगम दर्शन प्रणाली को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया. इस व्यवस्था के अनुसार निश्चित राशि के भुगतान पर प्राथमिकता दर्शन प्रदान की जाती है. न्यायधीश मनोज मिश्रा और समीर जैनकी खंडपीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका (PIL) याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि सुगम दर्शन प्रणाली प्रदान करने में मंदिर के न्यासी बोर्ड का निर्णय न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आएगा.

कोर्ट ने कहा कि एक बार न्यासी बोर्ड को मंदिर में किसी भी पूजा, सेवा, अनुष्ठान, समारोह या धार्मिक अनुष्ठान के प्रदर्शन के लिए शुल्क तय करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है और ऐसी शक्ति का प्रयोग करते हुए वो, उन लोगों के लिए सुगम दर्शन की सुविधा प्रदान करने का निर्णय लेते हैं जो अपनी विकलांगता के कारण शारीरिक रूप से या अन्यथा कतार में प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं और ऐसा निर्णय लेते समय वे आम वर्ग को पूजा के अपने अधिकार का प्रयोग करने या धार्मिक प्रथाओं के अनुसार पूजा करने से बाहर नहीं करते हैं. हमारे विचार में न्यासी बोर्ड का निर्णय न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आता है.

गजेंद्र सिंह यादव की याचिका में काशीविश्वनाथ मंदिर में सुगम दर्शन को चुनौती दी गई थी, जो किसी भी व्यक्ति को 'दर्शन' के लिए कुछ राशि के भुगतान पर 'बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति' (VIP) बनने की अनुमति देता है. यह आरोप लगाया गया था कि यह 'कतार-रहित', 'परेशानी मुक्त' दर्शन प्रणाली वास्तव में धन एकत्र करने का एक तरीका है और इसलिए यह समान रूप से स्थित लोगों के साथ भेदभाव करता है, जो वित्तीय रूप से संपन्न नहीं हैं और जो भुगतान करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं.

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याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया गया था कि यदि मंदिर बोर्ड शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए तैयार है, तो उक्त सेवाओं का लाभ उठाने के लिए भुगतान की कोई आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि अदालत ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि इस संबंध में मंदिर बोर्ड का निर्णय न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है.

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Last Updated : Dec 1, 2021, 5:06 PM IST

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