अलीगढ़:इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब आज भी इतिहास के अनछुए पहलुओं को जनता के सामने लाने के लिए काम कर रहे हैं. 88 साल की अवस्था में एएमयू कैंपस आते है. 12 अगस्त को जन्मे इरफान हबीब को भारत सरकार ने 2005 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया था. इनके पिता मोहम्मद हबीब भी एक प्रख्यात इतिहासकार थे और अलीगढ़ में ही रहे थे.
अलीगढ़: इतिहासकार इरफान हबीब बोले, इतिहास के अनछुए पहलुओं पर काम जारी
यूपी के अलीगढ़ में प्रोफेसर इरफान हबीब आज भी इतिहास के अनछुए पहलुओं को जनता के सामने लाने के लिए काम कर रहे हैं. रिटायर होने के बाद भी 88 साल की अवस्था में एएमयू में इतिहास विभाग को सेवाएं दे रहे हैं और प्राचीन और मध्यकालीन भारत के इतिहास पर खासा पकड़ रखते हैं.
इरफान हबीब का जन्म 12 अगस्त 1931 को बड़ोदरा (गुजरात) में हुआ था. इरफान हबीब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमरेट्स के रूप में काम कर रहे हैं. इरफान हबीब मार्क्सवादी लेखक के रूप में जाने जाते हैं. प्राचीन और मध्यकालीन भारत के इतिहास पर खासा पकड़ रखते हैं. वहीं हिंदू और मुस्लिम सांप्रदायिकता के खिलाफ अपने मजबूत रुख के लिए भी जाने जाते हैं और बेबाकी से बोलते हैं. इरफान हबीब ने आक्सफोर्ड से लौटने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया. सन 1969 से 1991 तक एएमयू में इतिहास के शिक्षक के रूप में पढ़ाया.
- इरफान हबीब 88 साल के हो गए हैं.
- उनका इतिहास के मुद्दों पर काम अभी भी जारी है.
- अक्सर एएमयू कैंपस में साइकिल से आते-जाते देखे जा सकते हैं.
- इतिहास विभाग में समय से आना और जाना उनकी दिनचर्या है.
- वेदों से लेकर मुगलकालीन घटनाओं तक पर इतिहास लिखा है.
- पिता भी इतिहासकार थे. इसलिए शायद इनकी दिलचस्पी भी इतिहास में ज्यादा रही.
- 1953 में एएमयू से बीए किया, फिर इतिहास में एमए.
- 1956 में डी फिल की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड चले गए.
- ऑक्सफोर्ड से लौटने के बाद एएमयू में इतिहास पढ़ाना शुरू कर दिया.
- इरफान हबीब स्वयं को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं.
- उन्हें एक मार्क्सवादी लेखक माना जाता है.
- वे दर्जनों किताबों का संपादन कर चुके हैं.
- भारतीय इतिहास पर भी कई किताबें लिखी हैं.
- इसमें वैदिक काल और वेदों के ऊपर भी शामिल हैं.
- 2005 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया.