अलीगढ़:जिले में दिल को झकझोर देने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहां एक महिला और उसके 5 बच्चे 2 महीने से खाने के लिए तरस रहे हैं. आस-पड़ोस में से अगर किसी ने परिवार के 6 सदस्यों के बीच 4 से 6 रोटियां दे दी तो उन्हीं को खाकर पानी पीकर गुजारा कर लिया. नौबत यहां तक आ गई कि पिछले 10 दिनों से परिवार के सदस्यों ने रोटी नहीं खाई. पूरे परिवार के सदस्यों की भूखे रहने के कारण तबीयत खराब हो गई, जिन्हें अब जिला अस्पताल मलखान सिंह में भर्ती कराया गया है. हालांकि अब उनका डॉक्टर की टीम पूरा ख्याल रख रही है और एनजीओ ने भी कुछ मदद पहुंचाई है, लेकिन सरकार कटघरे में खड़ी हो गई.
क्या है पूरा मामला
जिस देश में तमाम भंडारे होते हैं, लंगर होते हैं, सरकारी राशन मुफ्त में वितरण करने के दावे किए जाते हैं, उस देश में लोग भूख से तड़प कर सूखकर कांटा हो जाएं तो हैरत की बात है. दरअसल, अलीगढ़ जिले के थाना सासनी गेट इलाके के आगरा रोड स्थित मंदिर नगला में करीब 40 वर्षीय गुड्डी नाम की महिला अपने पांच बच्चों 20 वर्षीय अजय, 15 वर्षीय विजय, 13 वर्षीय बेटी अनुराधा, 10 वर्षीय टीटू व सबसे छोटा बेटा 5 वर्षीय सुंदरम के साथ रहती है. गुड्डी के मुताबिक, उसके पति विनोद की बीते वर्ष 2020 में लॉकडाउन से 2 दिन पूर्व ही गंभीर बीमारी के चलते मौत हो गई, जिसके बाद परिवार का पेट पालने के लिए गुड्डी ने एक फैक्ट्री में 4 हजार रुपये महीने पर काम करना शुरू कर दिया, लेकिन लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री कुछ समय बाद घाटे के चलते पूरी तरह बंद हो गई. उसके बाद गुड्डी को कहीं काम नहीं मिल सका.
घर में रखा राशन भी धीरे-धीरे खत्म हो गया और नौबत लोगों द्वारा दिये गए खाने के पैकेट पर निर्भर होने पर आ गई. फिर गुड्डी के बड़े बेटे अजय ने पिछले लॉकडाउन खुलने के बाद मजदूरी शुरू कर दी. जिस दिन काम मिल जाता था तो उसी दिन घर का राशन पानी ले आता था. जिससे घर में खाने-पीने के लाले पड़ रहे थे. भर पेट खाना न मिलने के कारण 13 वर्ष की बेटी अनुराधा की तबियत खराब रहने लगी और धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्य बीमारी की चपेट में आने शुरू हो गए. देखते ही देखते कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी और फिर से लॉकडाउन हो गया, जिसके चलते अजय को जो थोड़ी बहुत मजदूरी मिल जाती थी, वह भी बिल्कुल बंद हो गई.