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जांच करनी थी डीआईओएस को आख्या लगा दी बीएसए ने, गलत रिपोर्ट सौंपने का आरोप - जिला विद्यालय निरीक्षक

कोविड 19 महामारी के दौरान बोर्ड में पास होने वाले आगरा के 128 बच्चों की मार्कशीट में अंक नहीं दिए गए थे. जिसे लेकर सभी बच्चे बीते 6 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं.

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Published : Jul 30, 2022, 11:21 PM IST

लखनऊ : कोविड-19 महामारी के दौरान बोर्ड में पास होने वाले आगरा के 128 बच्चों की मार्कशीट में अंक नहीं दिए गए थे. जिसे लेकर सभी बच्चे बीते 6 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. इस मामले में चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस ने प्रधानमंत्री शिकायत पोर्टल पर शिकायत की थी, लेकिन आगरा बीएसए ने अंकों की शिकायत पर टीसी का निस्तारण कर प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी.

कोविड-19 महामारी के दौरान प्री बोर्ड परीक्षाओं के नंबरों के आधार पर पास हुए आगरा के 128 छात्रों को बिना अंकों की कोरी मार्कशीट थमा दी गयी थी, जिसे लेकर शहर के चाइल्ड एक्टिविस्ट ने "मेरी आवाज सुनो" नाम से एक मुहिम छेड़ी थी. इस मुहिम के अनुसार बच्चे कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल, शहर के विधायकों समेत शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों से मिले थे. इसी कड़ी में नरेश पारस ने छात्रों की समस्या को लेकर प्रधानमंत्री के (IGRS) पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने छात्रों को अंक देने में बोर्ड द्वारा बरती गई लापरवाही को उजागर कर और मार्कशीट में अंक देने की बात लिखी थी. जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय से उत्तर प्रदेश सरकार को जांच के लिये भेजा गया था.

जानकारी देते चाइल्ड एक्टिविस्टनरेश पारस

आरोप है कि इस मामले की जांच आगरा जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को करनी थी, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) प्रवीण कुमार तिवारी ने इसमें आख्या लगा दी. उनके विभाग से संबंधित इस शिकायत में कुछ भी दर्ज नही था. वहीं शिकायतकर्ता नरेश पारस ने बताया कि छात्रों के अंकों को लेकर वैजयंती देवी इंटर कॉलेज को इसमें सम्मिलित किया था, लेकिन बीएसए ने छात्रों की टीसी को लेकर एमडी जैन इंटर कॉलेज को लेकर जांच आख्या सौंप दी. गलत जांच रिपोर्ट बीएसए कार्यालय से राज्य सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दी गयी, जिसे प्रधानमंत्री के (IGRS) पोर्टल पर निस्तारित कर दिया गया.

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अब इस मामले में नरेश पारस ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ जांच के गलत निस्तारण की जानकारी दर्ज कराई है. वहीं उन्होंने अधिकारियों पर प्रधानमंत्री को भ्रमित करने का भी आरोप लगाया हैं.

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इस मामले में 6 महीने बाद भी छात्रों की मार्कशीट अब तक कोरी है. उन्हें अंक नहीं दिए गए हैं. जिसके कारण छात्र और उनके परिजन परेशान हैं. उन्हें आगे कोई संस्थान अपने यहां दाखिला नहीं दे रहा है, जिसके कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है.

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