आगरा:अदालत ने बुधवार को जिले के बहुचर्चित मनीषा केस में 11 साल बाद दोषी अस्पताल संचालक को दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. मां श्रृंगार अस्पताल संचालक केपी सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, गर्भपात एवं एमटीपी एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ था. अपर जिला जज रनवीर सिंह ने अस्पताल संचालक केपी सिंह को दोषी पाया और दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. दोषी अस्पताल संचालक पर 41000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. इस मामले में एक अन्य चिकित्सक राजेन्द्र सिंह साक्ष्य के अभाव में बरी हुआ है. अदालत ने डीएम को समय-समय पर अस्पतालों की जांच करने के निर्देश भी दिया है.
एत्मादउद्दौला में दर्ज मुकदमा के मुताबिक वादी भूरी सिंह ने अपनी तीन माह की गर्भवती पत्नी मनीषा की तबीयत खराब होने पर मार्च 20211 में ट्रांस यमुना कॉलोनी स्थित मां श्रृंगार अस्पताल में भर्ती कराया था. मनीषा ने दर्द की शिकायत की थी. इस पर अस्पताल संचालक डॉ. केपी सिंह ने मनीषा का गर्भपात कराने की सलाह दी. जिसका खर्च 2500 रुपये बताया. रुपये जमा करा लिया लेकिन इसकी रसीद नहीं दी. आरोपी डॉ. केपी सिंह ने मनीषा का गर्भपात कर दिया. गर्भपात में घोर लापरवाही बरती और जिससे मनीषा के अंदरूनी अंगों को काफी नुकसान पहुंचा.
एसएन मेडिकल कॉलेज में हुई थी मौत-वादी भूरी सिंह ने दर्ज कराए मुकदमे में लिखाया था कि मां श्रृंगार अस्पताल संचालक केपी सिंह ने तथ्य छिपाकर वादी से कागजात पर हस्ताक्षर कराए. इसके बाद भूरी सिंह और उसकी पत्नी को अस्पताल से बाहर निकाल दिया. इस पर भूरी सिंह ने पत्नी मनीषा को दूसरे विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि चिकित्सक ने मनीषा के गर्भाशय को नष्ट कर दिया था. इस पर एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया. जहां उपचार के दौरान मनीषा की मौत हो गई थी. जिस पर एत्मादउद्दौला थाना में मुकदमा दर्ज कराया था. जिले में खूब हल्ला मचा था. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल सील कर दिया था.