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चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर, कई गांवों में भरा पानी, खाने-पीने की दिक्कत

कोटा बैराज राजस्थान से छोड़े गए पानी के चलते चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है. तटवर्ती इलाकों के लगभग 24 गांवों में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

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Published : Aug 25, 2022, 9:56 AM IST

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चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर

आगराः जिले के बाह पिनाहट ब्लॉक क्षेत्र से सटी चंबल नदी में बाढ़ का संकट पैदा हो गया है. कोटा बैराज राजस्थान से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद से नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 4 मीटर ऊपर बह रहा है. पिनाहट घाट पर नदी का जलस्तर 134 मीटर के करीब पहुंच गया है. तटवर्ती इलाकों के गांव में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. 24 से अधिक गांव में बाढ़ का संकट है. 12 गांवों के रास्तों पर पानी भर जाने से संपर्क टूट गया है. प्रशासन ने ग्रामीणों के आवागमन के लिए स्ट्रीमर संचालित किए हैं. बाढ़ के कारण लोगों के जीवन पर संकट आ गया है. फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं.

बुधवार को चंबल क्षेत्र में बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे जिलाधिकारी आगरा प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि कोटा बैराज से छोड़े गए पानी से चंबल का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और वह 135 मीटर से ऊपर जा सकता है. तटवर्ती इलाकों के निचले गांव के लोगों में प्रशासन द्वारा अलर्ट सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की मुनादी कराई गई है. प्रशासन की टीमें लगातार तटवर्ती इलाकों के गांव में व्यवस्थाओं को लेकर लगी हुई हैं. जल स्तर पर लगातार निगाह रखी जा रही है, लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है.

बाढ़ का जायजा लेते हुए डीएम.

विधायक ने लिया जायजाःबाढ़ क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचीं विधायक रानी पक्षालिका सिंह ने कहा कि हर वर्ष चंबल नदी में बाढ़ की स्थिति बन जाती है. राजस्थान के कोटा बैराज के अधिकारियों को एकदम पानी छोड़ने का निर्णय नहीं लेना चाहिए. धीरे-धीरे कम मात्रा में पानी छोड़ा जाए तो शायद बाढ़ के हालात नहीं बनेंगे और लोगों को परेशानी नहीं होगी.

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भारी बारिश के चलते बने बाढ़ के हालातःगौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के चलते चंबल नदी के गांधी सागर बांध, राणा सागर बांध, जवाहर सागर बांध में पानी बढ़ गया है. जिसके बाद भारी मात्रा पानी डिस्चार्ज होने से राजस्थान के कोटा बैराज का जलस्तर हाई लेवल पर पहुंच गया, जिसके बाद रविवार और सोमवार को तीन बार में बैराज के 14 गेट खोल कर चंबल नदी में करीब 12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इससे नदियां उफान पर आ गईं.

अपने सामानों को लेकर सुरक्षित स्थानों पर जाते ग्रामीण

मंगलवार को कोटा बैराज से करीब 7 लाख क्यूसेक पानी और डिस्चार्ज किया गया. इसके चलते चंबल नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बुधवार शाम तक पिनाहट चंबल अधिक घाट पर खतरे का निशान 130 मीटर को पार कर 134 मीटर पर पहुंच गया है. इधर लगातार चंबल नदी का जलस्तर भी बढ़ रहा है. प्रशासन ने भी हाई अलर्ट जारी किया है. वहीं, चंबल में उफान के चलते तटवर्ती इलाकों के गांव के लोगों में हड़कंप मचा हुआ है.

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गांव के स्कूलों-घरों में भरा पानी, काटी गई गांव की बिजलीःकोटा बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से कई गांव में पानी घुसने से तटवर्ती इलाके के गांव रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, उमरैठापुरा, भगवानपुरा, सिमराही, कछियारा, रेहा, डालपुरा में स्कूलों एवं घरों में पानी भर जाने के कारण स्थिति खराब हो गई है लोग छतों पर पनाह ले रहे हैं. वहीं, कई गांव पूरी तरह से टापू बन गए हैं बिजली के विद्युत पोल पानी में डूबे हुए हैं. जिसके चलते रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, उमरैठापुरा, भगवानपुरा, गुढा, रेहा, कछियारा, आदि गांव की बिजली काटी गई है.

गांवों में भरा पानी

स्ट्रीमर संचालन ठीक से नहीं होने का आरोपःइस दौरान ग्रामीणों के आवागमन हेतु प्रशासन द्वारा स्ट्रीमर संचालन शुरू कराया गया है. वहीं बुधवार को ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि स्थानीय ग्राम प्रधान एवं प्रशासनिक कर्मचारियों की मिलीभगत से स्ट्रीमर संचालन को ठीक से नहीं कराया जा रहा. कई घंटे तक गांव पहुंचने के लिए पेट्रोल खत्म होने के नाम पर बैठाया गया जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई है.

चंबल क्षेत्र में बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे जिलाधिकारी और आगरा प्रभु नारायण सिंह और विधायक रानी पक्षालिका सिंह

खाने पीने की नहीं पहुंची सामग्रीःचंबल की बाढ़ में फंसे गांव के ग्रामीणों ने बताया कि चारों तरफ गांव में पानी भर गया है. कुछ गांव टापू बन गए हैं, जहां खाने पीने की व्यवस्था नहीं पहुंच रही है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास खाने की सामग्री नहीं है.

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