आगरा.चंबल नदी में आए उफान ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अब चंबल नदी का पानी नीचे उतरने लगा है. इसके बाद 70 से ज्यादा गांवों में बाढ़ की तबाही के सबूत दिखने लगे हैं. बाढ़ में कई पक्के मकान जमींदोज हो गए. वहीं दर्जनों कच्चे मकान बाढ़ बहा ले गई. फसलें बर्बाद हो गईं. हालत ये है कि बाढ़ पीड़ितों के सामने खाने और सिर पर छत तक नहीं है. बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, अब लोगों को संचारी रोग भी सताने लगे हैं.
गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में बारिश से चंबल नदी में उफान आ गया. इसके बाद कोटा बैराज से 22 लाख क्यूसेक से अधिक पानी नदी में छोड़ा गया, जिससे चंबल नदी ने आगरा में बाढ़ का 26 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. पिनाहट घाट पर चंबल का जलस्तर 137.80 मीटर दर्ज हुआ. वहीं, चंबल के तटवर्ती पिनाहट ब्लॉक, बाह ब्लॉक, जैतपुर ब्लॉक और फतेहाबाद ब्लॉक के 70 गांवों में बाढ़ आ गई. 25 से ज्यादा गांव के संपर्क मार्ग बाढ़ में बह गए.
टीलों में पर लगे तंबू, मकान हुए जमींदोजःचंबल नदी में बाढ़ से घरों में पानी भर गया. छत भी पानी में डूब गई. इस पर लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर डेरा जमाया है. बाढ़ पीड़ित बैजनाथ सिंह ने कहा कि सब बेघर हो गए हैं. खाने, पीने और रहने का कोई इंतजाम नहीं हैं. बाढ़ से लोगों के मकान गिर गए हैं. कई लोगों के यहां तो खाना बनाने के लिए सुरक्षित जगह तक नहीं हैं. लोगों का दस लाख रुपए तक का नुकसान है. हमारे यहां देखने के लिए कोई नहीं आया है. ऐसे में प्रशासनिक मदद कौन करेगा. बाढ़ पीड़ित अभिलाख का कहना है कि, बाढ़ की वजह से घर और गांव छोड़ कर अभी भी टोला पर रह रहे हैं. करीब 2 हजार बीघा फसल नष्ट हो गई है. शासन से अभी कोई मदद नहीं मिली है. जैसे-तैसे इंतजाम करके गुजारा कर रहे हैं.