उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / briefs

कोरोना संकट के प्रबंधन को लेकर दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन - लखनऊ यूनिवर्सिटी

कोरोना से लड़ने के लिए और उसको हराने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पर वेबिनार का दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

कोरोना संकट के प्रबंधन को लेकर दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन
कोरोना संकट के प्रबंधन को लेकर दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन

By

Published : Apr 29, 2021, 6:08 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के तत्वाधान में बुधवार से यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया. जिसका शीर्षक "योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा कोरोना संकट का प्रबंधन" निर्धारित किया गया है. वेबिनार में बुधवार को मुख्य वक्ता डॉ राजीव रस्तोगी पूर्व सहायक निदेशक, केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से आए थे.

यह भी पढ़ें:लखनऊ में 60 ऑक्सीजन बेड का कोविड अस्पताल तैयार

संतुलित जीवन शैली एवं सकारात्मक सोच है आवश्यक

डॉ रस्तोगी ने बताया कि कोरोना ने सम्पूर्ण विश्व के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. कोरोना संकट के कारण व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तर प्रभावित हो रहा है. शरीर को इस संक्रमण से बचाने के लिए संतुलित जीवन शैली और सकारात्मक सोच आवश्यक है. योग में वर्णित विभिन्न आसन जैसे भुजंगासन, शलभासन, गोमुखासन, सेतुबंध आसन , मकरासन तथा प्राणायामों में अनुलोम-विलोम, सूर्यभेदी, उज्जायी, कपालभाति का शरीरिक क्षमता के अनुसार अभ्यास करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. इन योगाभ्यासों के साथ ही साथ सात्विक भोजन लेना चाहिए. ऐसे भोजन का प्रयोग करना चाहिए जो आहार हमें औषधि के रूप में लाभ दे. खुद के साथ जीवन यापन करते हुए भरपूर नींद लेना आवश्यक है. नींद कुदरत की अनमोल औषधि है. अपनी क्षमता अनुसार शरीर के स्वास्थ एवं इम्युनिटी को अच्छा रखने के लिए सप्ताह में एक दिन उपवास करना लाभप्रद होता है. मौन और ध्यान के अभ्यास से शरीर की संक्रमण से लड़ने की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है.

इस महामारी में बाह्य एवं आंतरिक स्वच्छता आवश्यक

डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि इस महामारी में बाह्य एवं आंतरिक स्वच्छता आवश्यक है. बाह्य स्वच्छता के लिए आदर्श जीवन शैली अपनानी चाहिए और शरीर की आंतरिक शुद्धि के लिए अपनी क्षमता अनुसार जल नेति, संखप्रक्षालन क्रिया का अभ्यास करना चाहिए. शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकलने के लिए स्टीम बाथ और भस्त्रिका प्राणायाम उपयोगी होगा. सूर्य नमस्कार के अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी. प्रातः काल की सूर्य की किरणें जीवनदायिनी हैं. सूर्य की किरणों से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है. प्रात काल 20 से 30 मिनट सूर्य के प्रकाश में रहना लाभकारी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details