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लखनऊ : कांग्रेस कार्यालय पर पसरा सन्नाटा

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Published : May 23, 2019, 3:08 PM IST

चुनाव के रुझानों के आने का जैसे ही सिलसिला शुरू हुआ वैसे ही एक-एक करके कांग्रेस के पदाधिकारी दफ्तर छोड़ घर की तरफ रुख करने लगे. दोपहर होते-होते आधा कांग्रेस दफ्तर खाली हो गया.

कांग्रेस कार्यालय

लखनऊ : लोकसभा चुनाव की मतगणना के रुझान जिस तरह से बीजेपी के पक्ष में लगातार आ रहे हैं, वहीं कांग्रेस में मायूसी का दौर भी बढ़ता जा रहा है. परिणाम का रुझान बीजेपी के पक्ष में जाने के बाद से ही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा नजर आ रही है. जहां एक तरफ बीजेपी में जश्न का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है.

कांग्रेस कार्यालय पर चुनाव के रुझान का असर.

कांग्रेस का हाल हुआ बेहाल

  • सुबह के समय जब मतगणना शुरू होने वाली थी, उससे पहले कांग्रेस को जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि दोपहर तक उसकी स्थिति इस कदर बदतर हो जाएगी.
  • कांग्रेसी कार्यालय के दरवाजों पर भी ताले डालने और आधा दफ्तर बंद करने को मजबूर हो गए.
  • चुनाव के रुझानों के आने का जैसे ही सिलसिला शुरू हुआ, वैसे ही एक-एक करके कांग्रेस के पदाधिकारी दफ्तर छोड़ घर की तरफ रुख करने लगे.
  • दोपहर-होते होते आधा कांग्रेस दफ्तर खाली हो गया.

कांग्रेस की स्थिति हुई खराब

  • कांग्रेस कार्यालय की स्थिति ऐसी हो गई है, जैसे इन चुनाव से कांग्रेस का कोई ताल्लुक ही न रहा हो.
  • लखनऊ लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम चुनावी मैदान में हैं.

जब थर्ड पोजीशन पर आचार्य प्रमोद कृष्णम थे तो इसका कुछ खास असर कांग्रेसियों पर नहीं दिखा, लेकिन जैसे ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी से पिछड़ते नजर आए तो इसका असर कांग्रेसियों के चेहरे पर साफ तौर पर नजर आया. उस पर भी स्थिति तब और खराब हो गई जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का हाल 2014 की तरह होने लगा. यह देखकर पदाधिकारी धीरे-धीरे दफ्तर से घर की तरफ खिसकने लगे.

कांग्रेस कार्यालय में ग्राउंड से लेकर फर्स्ट फ्लोर तक कई पदाधिकारियों के दफ्तर हैं. ग्राउंड फ्लोर पर तो प्रवक्ता कक्ष में एक दो प्रवक्ता बैठे हुए थे, लेकिन वहीं जिम्मेदार पदाधिकारियों की बात की जाए तो उनके कमरों में ताले लटके हुए थे. पदाधिकारियों को रुझान धीरे-धीरे ही सही परिणामों में बदलते हुए नजर आने लगे थे. लिहाजा, उन्होंने घर की तरफ ही रुख करना मुनासिब समझा.

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