हल्द्वानी/लखनऊ: बाघों के संरक्षण के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के तत्वावधान में एक इंटर स्टेट कोऑर्डिनेशन मीटिंग आयोजित की गई. इस बैठक में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 70 से ज्यादा वन विभाग के आला अधिकारियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान बाघों के शिकार, तस्करी और संरक्षण से जुड़े मसलों पर पर गहनता से विचार-विमर्श किया गया.
बाघों के संरक्षण को लेकर यूपी और उत्तराखंड ने तैयार किया प्लान, तस्करी रोकने पर खास जोर - पराग मधुकर धकाते
बाघों के संरक्षण के लिए यूपी और उत्तराखंड ने साझा प्लान तैयार करने पर सहमति जताई है. हल्द्वानी में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की बैठक में इस संबंध में जरूरी चर्चा की गई. बैठक में दोनों राज्यों के तमाम बड़े अधिकारियों ने बाघों के संरक्षण पर गहन विचार-विमर्श किया.
बैठक की खास बातें:
बैठक में दोनों राज्यों की सीमाओं पर होने वाले बाघों के शिकार के मामलों पर वन विभाग की इंटेलिजेंस को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए. अक्सर शिकार और तस्करी सीमावर्ती इलाकों में ज्यादा होती है क्योंकि यहां से अपराधी और तस्करों को भागने में आसानी होती है. ऐसे में इन इलाकों पर कड़ी नजर रखे जाने की जरूरत होती है. बैठक में कहा गया है कि जिन बिंदुओं पर सहमति बनी है उन पर दोनों राज्यों के अधिकारी अमल करें और सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन करें.
उम्मीद जताई जा रही है कि बाघों के संरक्षण में दोनों प्रदेशों के वनाधिकारियों की मीटिंग बेहतर साबित होगी. हालांकि, दोनों राज्य पहले से ही बाघों के संरक्षण में आगे रहे हैं, जोकि अच्छी खबर है. अब जरूरत है कि बाघों के संरक्षण को लेकर अधिकारी अलर्ट रहें. खास तौर पर तस्करी जैसे अपराधों पर लगाम लगाने की कोशिश की जाएगी.
- डॉ. पराग मधुकर धकाते, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त