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बाराबंकी: हर साल तंबाकू का सेवन करने वाले 40 फीसदी लोगों की हो जाती है मौत

हर साल तंबाकू से हजारों जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं. तंबाकू का इस्तेमाल अकाल मृत्यु और कैंसर का कारण है. इसके प्रति हर साल लोगों को जागरूक भी किया जाता है. इसके बावजूद तंबाकू के कारण मरने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है.

बाराबंकी में तंबाकू से हर साल हो जाती हैं 40 फीसदी मौत.

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Published : Jun 1, 2019, 1:46 PM IST

बाराबंकी: समय-समय पर लोगों को तंबाकू और उसके उत्पादों के प्रयोग से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरूक किया जाता है. साथ ही शासन स्तर पर भी तम्बाकू का सेवन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है. इसके बावजूद लोग तंबाकू का सेवन करने से बाज नहीं आते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में 23 फीसदी लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमे से हर वर्ष 40 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है.

बाराबंकी में तंबाकू से हर साल हो जाती हैं 40 फीसदी मौत.
युवा वर्ग भी नहीं है अछूता

हर वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर लोगों को इसके इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के प्रति आगाह किया जाता है लेकिन लोग इसके प्रति जरा भी गंभीर नही हैं. जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़ों के मुताबिक 35 लाख की आबादी वाले बाराबंकी जिले में 23 फीसदी लोग ऐसे हैं जो तंबाकू या उससे बने उत्पादों का प्रयोग कर रहे हैं. चिंता की बात यह है कि 18 से 25 वर्ष का युवा वर्ग धड़ल्ले से तंबाकू का सेवन कर रहा है. हर वर्ष तंबाकू का सेवन करने वाले 40 फीसदी लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं. स्वास्थ्य विभाग समेत तमाम स्वयं सेवी संस्थाएं इसे लेकर खासी चिंतित हैं.

तंबाकू के सेवन को रोकने के लिए सरकारी प्रयास

इन मौतों को देखते हुए वर्ष 2003 में कोटपा कानून (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स ऐक्ट ) बनाया गया था. इसके तहत किसी भी सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान को निषेध कर दिया गया था. इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को तंबाकू उत्पाद बेचने पर भी रोक लगा दी गई थी. इस कानून के तहत शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में कोई भी तंबाकू उत्पाद बेचने पर मनाही है. इस कानून के तहत कारावास और दो सौ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है.

जिले में हर साल बड़ी संख्या में लोग तंबाकू के सेवन के चलते अपनी जान गंवा देते हैं. इस पर लगाम लगाने के लिए लोगों को लगातार जागरूक भी किया जाता है. इसके बावजूद मौत का यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. -
- डॉ. महेंद्र सिंह, नोडल अधिकारी

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