लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय और उससे जुड़े महाविद्यालयों में कोरोना की दूसरी लहर से भारी नुकसान हुआ है. इस महामारी में कई लोगों की जान चली गई हैं. इसी को लेकर छात्रों और उनके परिजनों को राहत देने के लिए शिक्षक संगठन की ओर से इस बार परीक्षा शुल्क न लिए जाने की मांग उठाई गई है.
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छात्रों से न लें परीक्षा शुल्क
संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे का कहना है कि कोरोना का संकट कब समाप्त होगा यह अभी बता पाना कठिन है. विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर की आशंका जताई गई है, जिसमें बच्चों पर संक्रमण के प्रभाव की संभावना व्यक्त की गई है. कोरोना की विषम परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्ययनरत छात्रों को बिना परीक्षा कराए प्रोन्नत किए जाने के संबंध में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है. विगत वर्ष 2020 में बहुत सारे लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा. इस साल फिर से इस आपदा के कारण बहुत सारे लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्रों में अधिकतर छात्र ऐसे परिवारों से संबंधित हैं, जोकि आर्थिक रूप से मध्यम या कमजोर वर्ग से हैं. उन्हें इस महामारी के कारण विश्वविद्यालय की परीक्षा शुल्क जमा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन हालातों में उन्हें राहत दी जानी चाहिए. विश्वविद्यालय छात्रों से परीक्षा शुल्क न लें.
प्रोन्नति के बाद भी जमा कराया परीक्षा शुल्क
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र महेंद्र यादव का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा होने के कारण दो गुना परीक्षा शुल्क जमा करना पड़ रहा है. साथ ही साथ लखनऊ विश्वविद्यालय की परीक्षा फीस प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों से अधिक है. पिछले वर्ष छात्रों को प्रोन्नत किया गया, लेकिन उनसे पूरी परीक्षा फीस जमा कराई गई. परीक्षा परिणाम घोषित करने में अन्य वर्षों की तुलना में खर्च भी कम हुआ है. कोरोना की इस महामारी में लखनऊ विश्वविद्यालय को एक आदर्श मानक स्थापित करते हुए छात्रों से परीक्षा शुल्क न लिए जाने का फैसला करना चाहिए.