बाराबंकी: जिले में एक तरफ जहां पशुओं के लिए बने आश्रय स्थल उनके मौत के कब्रगाह के रूप में साबित हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ आवारा पशु सड़कों पर हादसों का इंतजार कर रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन की व्यवस्था इस प्रकार से लाचार है कि वह ना तो गौशाला में पशुओं की सुरक्षा कर पा रही है और ना ही सड़कों पर चलने वाले आम इंसानों की.
बाराबंकी: आवारा पशु बन रहे हादसों का कारण, लोग परेशान
जिले में एक तरफ जहां पशुओं के लिए बने आश्रय स्थल उनके मौत के कब्रगाह के रूप में साबित हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ आवारा पशुओं के सड़क पर घूमने से आम आदमी हादसों का शिकार हो रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन के पशुओं को लेकर सुरक्षा के वादे खोखले नजर आ रहे हैं.
आवारा पशुओं के सड़क पर घूमने से आम इंसान नहीं है सुरक्षित.
जानिए क्या है पूरा मामला
- जिले में गौशाला की दयनीय स्थिति बन चुकी है.
- गौशाला के केयरटेकर को चुनाव के दौरान ड्यूटी पर लगा दिया गया
- इस दौरान गौशाला में कई पशु आपस में लड़कर और भूख से मर गए, वहीं शहर में सड़क पर आवारा पशुओं के घूमने से दो पहिया वाहन पर सवार लोग भी उनसे भिड़ गए और उनकी मौत तक हो गई.
- वहीं जिले की गौशाला की देखभाल करने वाले हरदेश कुमार का कहना है कि शुरूआत में इस गौशाला में करीब 200 पशु है, लेकिन मौजूदा समय में 80 से 84 पशु ही बचे हैं.
- वहीं गौशाला में सहयोगी के रूप में काम करने वाले नन्हकऊ का कहना है कि बड़े और ताकतवर गोवंश छोटे गोवंश को घायल कर देते हैं और इस दौरान कभी-कभी उनकी मौत भी हो जाती है.
- कुल मिलाकर परिस्थितियां यह हो चुकी है कि,सरकार की व्यवस्था गोवंश की सुरक्षा के संदर्भ में धरातल पर उतरती हुई दिखाई नहीं दे रही है.
- जिस प्रकार के दावे जिला प्रशासन और सरकार कर कर रही है. वह ना तो पशु आश्रय स्थल पर नजर आए, और ना ही सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं के संदर्भ में दिखाई दिए.