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सपा-बसपा गिले शिकवे भूलकर एक साथ बना रही चुनावी रणनीति

2019 लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में सियासी हलचल जबरदस्त है. एक-दूसरे से विरोध में दो दशक से नारेबाजी करने वाले सपा-बसपा कार्यकर्ता कैसे मिलकर चुनावी बिसात में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एकजुट हो गए है. इसका दृश्य गठबंधन के कार्यालय पर दिख रहा है.

सपा-बसपा

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Published : Mar 18, 2019, 1:35 PM IST

फतेहपुर: राजनीति में सत्ता से बड़ा कोई अपना नहीं होता, ये कथन वर्तमान समय मे चारों ओर दिख रहा है. लोकसभा 2019 की बिगुल बजते ही नेताओं का पार्टी बदलने का क्रम जारी है. वहीं प्रदेश में भाजपा को सत्ता से हटाने की संकल्प लेकर सपा और बसपा ने गठबंधन किया. अब इसमें राष्ट्रीय लोक दल पार्टी भी शामिल हो गया हैं.

सपा-बसपा कार्यकर्ता एक साथ मिलकर बना रहे चुनावी रणनीति.


दरअसल एक-दूसरे से विरोध में दो दशक से नारेबाजी करने वाले सपा-बसपा कार्यकर्ता कैसे मिलकर चुनावी बिसात में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एकजुट हो गए है. इसका दृश्य गठबंधन के कार्यालय पर दिख रहा है.

फतेहपुर संसदीय सीट गठबंधन में बसपा को मिला है. बसपा के चुनाव कार्यालय पर अखिलेश यादव और मायावती के बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुए हैं. कार्यालय अंदर से लेकर बाहर तक गठबंधन के रंग में रंगा है. जहां कांशीराम की तस्वीर है, वहीं साथ में राममनोहर लोहिया की भी तस्वीर हैं.


जैसे मायावती अखिलेश की फोटो एक साथ है, वैसे ही सपा-बसपा के कार्यकर्ता भी एक साथ बैठकर चुनावी रणनीति बना रहें हैं. पार्टी के कार्यालय पर दोनों पार्टी के नेताओं की बैठक दिन-रात जम रही है.


1993 में भी बसपा-सपा के कार्यकर्ता एक साथ कार्य किए हैं

सपा जिलाध्यक्ष ने पूछा गया कि दोनों पार्टी के कार्यकर्ता एक-दूसरे के विरोधी रहें हैं. कैसे एक साथ कार्य कर रहें हैं, तो उन्होंने बताया कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए 1993 में भी हम दोनों एक साथ कार्य किए थे. उन्होंने कहा कि परिवार में भाई-भाई में झगड़े होते रहतें हैं, तो एक साथ मिलते नहीं क्या. यह गठबंधन आगे भी जारी रहेगा.

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