उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / briefs

पाकिस्तान जेल से रिहा शमसुद्दीन 28 साल बाद पहुंचे अपने घर

शमसुद्दीन 28 साल पहले पिता से नाराज होकर पाकिस्तान चले गये थे. दोनों देशों के बीच तनाव के चलते वहां से लौट नहीं पाए. वहीं उन्होंने झूठे दस्तावेजों से पाकिस्तान की नागरिकता हासिल कर ली. जब वह भारत लौटने के लिए पासपोर्ट ऑफिस गए तो पकड़ लिए गए. शमसुद्दीन को यातनाएं दी गईं. इसके बाद उन्हें गलत तरीके से बॉर्डर क्रॉस करने के अपराध में 24 अक्टूबर 2012 को जेल भेजा गया. 26 अक्टूबर 2020 को उन्हें भारतीय फौज के सुपुर्द किया गया. अब ने अपने घर कानपुर पहुंचे हैं.

By

Published : Nov 16, 2020, 12:38 PM IST

etv bharat
28 साल बाद घर पहुंचे शम्शुद्दीन का हुआ भव्य स्वागत.

कानपुर: कानपुर के रहने वाले शमसुद्दीन पाकिस्तान की जेल से रिहा होने के बाद रविवार रात 28 साल बाद अपने शहर पहुंचे. वह पाकिस्तान की जेल में जासूसी के आरोप में बंद थे. जानकारी के अनुसार, शमसुद्दीन कराची जेल से छूटने के बाद अमृतसर के क्वारंटीन सेंटर में रुके हुए थे. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आज देर रात कानपुर अपने घर पहुंच गए. शमसुद्दीन के कानपुर में आने पर सबसे पहले बजरिया थाने में कागजी कार्रवाई पूरी की गई. घर वापसी पर थाने में ही मिठाई खिलाकर शमसुद्दीन का मुंह मीठा करवाया गया. 28 साल बाद अपनों के पास पहुंचे शमसुद्दीन परिजनों से लिपट गए. वहीं पूरे मोहल्ले के लोगों ने भी उनका स्वागत किया.

28 साल बाद घर पहुंचे शमसुद्दीन परिजनों से गले मिलते हुए.

जानकारी के अनुसार, शमसुद्दीन कानपुर के बजरिया थाना क्षेत्र के कंघी मोहाल के रहने वाले हैं. 28 साल पहले किसी बात को लेकर अपने पिता से नाराज होकर पाकिस्तान चले गये थे. दोनों देशों के बीच तनाव के चलते वहां से लौट नहीं पाए. वहीं उन्होंने झूठे दस्तावेजों से पाकिस्तान की नागरिकता हासिल कर ली. जब वह भारत लौटने के लिए पासपोर्ट ऑफिस गए तो पकड़ लिए गए. इसके बाद उन्हें भारत का एजेंट घोषित करने के लिए पाकिस्तान ने तमाम प्रयास किए. शमसुद्दीन को यातनाएं दी गईं, लेकिन वह अपनी बात पर अडिग रहे. इसके बाद उन्हें गलत तरीके से बॉर्डर क्रॉस करने के अपराध में जेल भेज दिया गया. 24 अक्टूबर 2012 को उन्हें जेल भेजा गया. 26 अक्टूबर 2020 को उन्हें भारतीय फौज के सुपुर्द किया गया.

28 साल बाद घर पहुंचे शमसुद्दीन का हुआ भव्य स्वागत.

1992 में घर छोड़कर गया था दिल्ली

बताया जाता है कि पिता से विवाद के बाद शमसुद्दीन 1992 में घर छोड़कर दिल्ली चले गये. यहां से सउदी अरब जाना चाहता था, लेकिन अपने परिचित के पास पाकिस्तान चले गये. 90 दिन के वीजा पर वह पाकिस्तान गये थे. जब पाकिस्तान में दंगे-फसाद शुरू हो गए तो वापस लौटने के हालात नहीं बन पाए. इस वजह से वीजा की अवधि बीत गई तो उनके परिचितों ने कहा कि अब वीजा लेने गए तो पकड़ लिए जाओगे. इसके बाद वह पुराना मोहल्ला छोड़कर कराची में रहने लगे. यहां दोस्तों की मदद से जूते का काम करने लगे और रिश्वत देकर एनआईसी कार्ड बनवा लिया.

पुलिसवालों ने भी खिलाई मिठाई.

1994 में पत्नी और बच्चों को भी बुला लिया पाकिस्तान

1994 में शमसुद्दीन ने पत्नी और अपनी दोनों बच्चियों को भी पाकिस्तान बुला लिया. 2002 में मुशर्रफ की सरकार के दौरान हालात ठीक हुए तो 2006 में पत्नी और बच्चों को वापस कानपुर भेज दिया. 2012 में वह खुद भी कानपुर वापस लौटना चाहता था. इसलिए वह पासपोर्ट बनवाने पहुंच गया, जहां अधिकारियों ने उसे धर दबोचा. इस दौरान उसे भारतीय एजेंट साबित करने के प्रयास किये गये. बाद में उसे गलत तरीके से बॉर्डर क्रॉस करने का आरोप लगा कर जेल में डाल दिया गया. शमसुद्दीन की सजा पूरी होने पर उन्हें भारतीय फौज को सुपुर्द कर दिया गया. इसके बाद रविवार को शमसुद्दीन कानपुर पहुंचे.

थाने में पुलिस कर्मियों ने भी किया स्वागत.

घर लौटने पर सरकार का किया शुक्रिया
28 साल बाद अपने घर वापस लौटने पर शमसुद्दीन ने खुशी जाहिर की. शमसुद्दीन ने इसके लिए सरकार व प्रशासन का भी शुक्रिया अदा किया, जिनकी मदद से वह अपने वतन लौट सके.

ABOUT THE AUTHOR

...view details