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नेता बदले-सरकारें बदलीं, केवल नहीं बदली तो इस मिनी पीतल नगरी की तकदीर और तस्वीर - कौशांबी

कभी मिनी मुरादाबाद के नाम से पहचाना जाने वाला शमशाबाद अब बदहाली झेल रहा है. पीतल कारोबार के लिए मशहूर इस नगरी के लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं.

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Published : Apr 25, 2019, 1:30 PM IST

कौशांबी : सिराथू तहसील में पीतल के बर्तन कारोबार की प्रमुख नगरी शमशाबाद तीन दशक पहले तक मिनी मुरादाबाद के नाम से देश भर में मशहूर थी. वहीं बदलते वक्त और सिस्टम की उपेक्षा के कारण आज यहां का पीतल उद्योग अंतिम सांसें गिन रहा है.

पीतल नगरी के बारे में बताते लोग.


साल 1962 में पीएम इंदिरा गांधी ने इस पीतल उद्योग को संवारने के लिए बर्तन निर्माण उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड आधारशिला रखी. मुरादाबाद से बर्तन बनाने की मशीन मंगवाई गई. कारखानों ने काम करना शुरू किया . लेकिन सरकारों की अनदेखी से सरकारी सिस्टम ने दीमक की तरह उद्योग को खत्म कर दिया और इसमें जुड़े कारोबारियों को यहां से पलायन करने को मजबूर कर दिया.


नतीजा शमशाबाद से मृत प्राय हो चुके पीतल उद्योग की जान अब महज लोटे के बर्तन में अटकी है. 2014 में बीजेपी के सांसद ने इसे गोद लेकर संवारने की कोशिश की. लोगों का आरोप है कि सांसद के प्रयास उनके लिए अब तक न काफी है.


स्थानीय नागरिक राकेश केसरी के मुताबिक पीतल नगरी के नाम से मशहूर शमशाबाद मुरादाबाद की टक्कर दिया करता था. मुरादाबाद के बाद दूसरा नंबर शमशाबाद का आता था, लेकिन आज बर्तन व्यवसाय प्रशासनिक उपेक्षा के कारण 20 प्रतिशत से कम रह गया है.


जहां यहां कभी बर्तन के 100 कारखाने होते थे वहीं अब 6-7 ही बचे हैं. यहां के कारीगर भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. मजदूरी कर रहे हैं. इस हालत के सवाल करने पर बताते हैं कि इन हालतों का मुख्य कारण स्टील के बर्तन है. स्टील के कारखानों को जहां करोड़ों का लोन मिलता है. वहीं पीतल और गिलट के बर्तन बनाने वालों को बैंक लाखों का लोन देने को तैयार नहीं है.


इसके पीछे जनप्रतिनिधियों को भी यह लोग जिम्मेदार बताते हैं. लोटे तक कारोबार बचने की सवाल पर बताते हैं कि पीतल और गिलट का जो कारोबार था वह केवल लोटा ही बचा है क्योंकि लौटा मांगलिक कार्यों में प्रयोग होता है. इसलिए वह बचा है.


बीजेपी के निवर्तमान सांसद विनोद सोनकर के मुताबिक शमशाबाद गांव को गोद लेने के पीछे मेरा जो मकसद था. उसमें पीतल उद्योग को पुनः स्थापित करना पुनः संचालन करना था. जिसे कौशांबी जनपद की गरीबी और बेरोजगारी समाप्त हो. उद्योग विहीन जिला है. लघु उद्योग को बढ़ावा मिले लोगों को रोजगार मिले इस के संदर्भ में बहुत सार्थक पहल की गई है. जितने पुराने लोग पलायन कर गए हैं उनसे संपर्क किया गया है. भारत सरकार के लघु उद्योग मंत्रालय से उनका रजिस्ट्रेशन कराया गया है और साथ ही साथ प्रधानमंत्री मुद्रा कोष से उनको कम ब्याज दर पर लोन की व्यवस्था कराई जा रही है.


कांग्रेस नेता गिरीश चंद के मुताबिक तत्कालीन सरकार और निवर्तमान सांसद की जिम्मेवारी बनती है कि उसको सुधारें। मुझे जो जानकारी मिली है कि वह इस गांव को गोद ले रखा है.

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