बस्ती: महिलाओं के बेहतर स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए जिले के कृष्णा भगवती गांव में सेनेटरी पैड बनाने वाला कारखाना स्थापित किया गया. इस कारखाने में गांव की ही महिलाएं और किशोरियां काम करती थीं. इस कारखाने को लगाने के पीछे खास उद्देश्य कम दाम में बेहतर सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना था. वहीं स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते इस कारखाने में लगी मशीनें खराब होने लगीं. इसके बाद न ही किसी ने इसे ठीक कराया और न ही यह कारखाना दोबारा शुरू हो सका.
धरी रह गईं महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर बनीं योजनाएं, बंद हुआ सेनेटरी पैड कारखाना - sanitary pad
पिछले महीने स्वास्थ्य विभाग सेनेटरी पैड दिवस मना चुका है, लेकिन धरातल पर जनपद में सेनेटरी पैड के वितरण से लेकर इसे तैयार करने वाली फैक्ट्री चलाने की योजना दम तोड़ रही है. महिलाओं और किशोरियों को सस्ते दर पर सेनेटरी पैड देने की योजना का लाभ उन्हें नही मिल पा रहा.
मशीन खराब होने की वजह से बंद हुआ सेनेटरी पैड बनाने का कारखाना.
क्या है मामला
- साल 2017-18 में सरकार की ओर से सदर ब्लॉक के कृष्णा भगवती गांव में 22 लाख की लागत से कारखाना स्थापित किया गया था.
- इस कारखाने को कम दाम में बेहतर सेनेटरी पैड मुहैया कराने के लिए बनवाया गया था.
- कुछ महीनों चलने के बाद स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण कारखाना बंद कर दिया गया.
- इसके बाद वहां काम करने वाली महिलाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया.
- ग्रामीणों ने बताया कि सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन का स्टेबिलाइजर खराब होने की वजह से कारखाना बन्द हो गया.
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगाए गए कारखाने में काम करने के लिए गांव की महिलाओं और किशोरियों को ही रखा गया था.
- कारखाने में काम करने वाली महिलाओं को प्रति पैकेट 2 रुपए मिलते थे.
कारखाना जब खोला गया था तब इसमें सब कुछ ठीक था. धीरे-धीरे डिमांड कम होती गई, इसलिए आपूर्ति भी बंद होने लगी. शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग इस विषय पर गंभीर नही थे. कारखाने में रखी सेनेटरी मशीन को चलाने वाला स्टेबलाइजर भी खराब था, जिसे दुरुस्त कर लिया गया है और जल्द ही कारखाना चलने लगेगा.
ब्रम्हचर्य दुबे, जिला पंचायत राज अधिकारी