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बस्ती: आरटीआई कार्यकर्ता ने मड़वानगर टोल प्लाजा को बताया अवैध - अवैध मड़वानगर टोल प्लाजा

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र नाथ तिवारी ने मड़वानगर टोल प्लाजा को पूरी तरीके से अवैध बताया है. इसी के तहत कार्यकर्ता ने डीएम को पत्र भी लिखा है. साथ ही कहा कि इस टोल प्लाजा के कर्मचारी आम जनता से टोल वसूल कर करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं.

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Published : Jun 12, 2020, 3:39 PM IST

बस्ती: जिले के मड़वानगर टोल प्लाजा की वैधता पर सवाल किया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र नाथ तिवारी ने पत्र लिखकर डीएम से शिकायत की है. उनका कहना है कि टोल प्लाजा अवैध है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग के नियमों के विरुद्ध बना है. वहीं पत्र को संज्ञान लेकर डीएम आशुतोष निरंजन ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक से आख्या मांगी है.

आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र नाथ तिवारी ने बताया कि राजमार्ग मंत्रालय के कार्यालयों से मिले तथ्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि टोल अवैध है. उन्होंने कहा कि मैंने जन सूचना अधिकार के तहत इस संबंध में सूचना मांगी थी. इसमें यह सामने आया कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क अधिसूचना 2008 के खंड चार के अनुसार कोई भी टोल प्लाजा नगरीय सीमा से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थापित होना चाहिए, लेकिन मड़वानगर टोल इस मानक को पूरा नहीं करता है.

नियमावली में उल्लंघन कर वसूला जा रहा टोल
वहीं राजेन्द्र नाथ तिवारी ने बताया कि इसके अलावा एक ही दिशा में दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर होनी चाहिए, जबकि जनपद के चौकड़ी और मड़वानगर टोल प्लाजा के बीच की दूरी सिर्फ 35 किलोमीटर है. अब ऐसे में इस टोल का कोई औचित्य नहीं है. यह सिर्फ और सिर्फ जनता की कमाई को लूटने का जरिया है. इतना ही नहीं मड़वानगर टोल प्लाजा की वसूली चेनपुरवा फ्लाईओवर के नीचे भी की जाती है, जबकि नियमावली में साफ-साफ लिखा है कि कहीं और टोल नहीं वसूल किया जा सकता है.

डीएम ने परियोजना निदेशक से आख्या मांगी है. अब देखना होगा कि कई साल से चल रहे अवैध टोल पर कब और क्या कार्रवाई होती है. अगर इसके खिलाफ प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करेगा तो कोर्ट में पीआईएल दाखिल करेंगे. इससे पहले भी इस टोल प्लाजा कम्पनी पर 40 करोड़ से अधिक के स्टांप चोरी का आरोप लग चुका है. इस मामले में टोल को सील भी किया गया था. इसके बाद भी टोल के मैनेजर ने जिला प्रशासन से मिलकर मामले को दबा दिया और फिर से टोल प्लाजा शुरू हो गया.
-राजेन्द्र तिवारी, आरटीआई कार्यकर्ता

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