लखनऊ : साल 2015 में मेरिट बेसिस पर निकली पुलिस भर्ती के अभ्यर्थी आज भी अपनी नौकरी की राह तक रहे हैं. अभ्यर्थियों का आरोप है कि पुलिस भर्ती बोर्ड की लेटलतीफी के चलते उन्हें अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है और वह दर-दर भटकने को मजबूर हैं. साल 2015 में उत्तर प्रदेश की पुलिस भर्तियां निकली थीं जो कि मेरिट के बेसिस पर थी जिनमें सिलेक्ट होने के बाद आज भी कुछ अभ्यर्थी अपनी नौकरी को नहीं पा सके हैं और दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
पुलिस भर्ती: सरकार की लेटलतीफी से टूटे कई अभ्यर्थियों के सपने
पुलिस भर्ती में लेटलतीफी से कई अभ्यर्थी सिपाही बनने की रेस से बाहर हो गए हैं. 2015 में उत्तर प्रदेश की पुलिस भर्तियां निकली थी जो कि मेरिट के बेसिस पर थी जिनमें सिलेक्ट होने के बाद आज भी कुछ अभ्यर्थी अपनी नौकरी नहीं पा सके हैं और दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
पुलिस भर्ती में सिलेक्शन के बाद भी दर-दर भटकने को मजबूर अभ्यर्थी
अभ्यर्थियों का आरोप -
- साल 2015 में पुलिस भर्ती परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी हुआ था.
- इस नोटिफिकेशन में दलित अभ्यर्थी किसी भी समय अपना सर्टिफिकेट लगा सकते थे.
- कुछ समय बाद पुलिस भर्ती बोर्ड अपने जारी नोटिफिकेशन से पलटी मार गया.
- अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट को गलत बताते हुए उन्हें जनरल कैटेगरी में रख दिया गया.
- इसके खिलाफ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए और वहां से उन्हें राहत मिल गई.
- हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों द्वारा जमा किए गए सर्टिफिकेट को सही माना है बावजूद इसके अभ्यर्थी दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
- सोमवार को प्रदेश भर से पुलिस अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह से मिलकर अपनी फरियाद करने पहुंचे थे.
- बिना डीजीपी से मिले ही उन्हें आश्वासन देकर वापस लौटा दिया गया.