बहराइच: जिले की संसदीय सुरक्षित सीट पर मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण चुनावी बाजी को पलट सकता है . इस स्थिति को भांप कर सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष मे करने के लिए उन पर डोरे डाल रहे हैं .फिलहाल मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण होता नजर नहीं आ रहा है .
मिशन 2019: बहराइच में मुस्लिम मतों के 'ध्रुवीकरण' पर टिकी है सियासी दलों की आस - असदुद्दीन ओवैसी
जिले की संसदीय सीट पर मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण चुनावी बाजी को पलट सकता है. इसी को लेकर हर पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में लगी है क्योकि बहराइच संसदीय सीट पर 33 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.
मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास
मुस्लिम मतदाता भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के खेमों में जाता नजर आ रहा है. वहीं इस संसदीय सीट पर सपा- बसपा, भाजपा और कांग्रेस में त्रिकोणीय संघर्ष है.
जानिए क्या है बहराइच लोकसभा सीट का त्रिकोणीय संघर्ष
- बहराइच संसदीय सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं .
- यहां पर 33 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं .
- मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी उनके दरवाजों पर दस्तक देते नजर आ रहे है .
- आईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम मतों को एकजुट करने के लिए प्रयास कर चुके हैं
- हालांकि, जानकारों का मानना है कि मुस्लिम मतों का विभाजन होने के बावजूद बड़ा वर्ग सपा बसपा गठबंधन के साथ है .
- राजनीतिक गलियारों में मुस्लिम मतों का बड़ा भाग कांग्रेस और भाजपा में भी जाने की चर्चा गर्म है . इसके पीछे का तर्क है कि बहराइच संसदीय सीट से चार बार भाजपा एक बार जनसंघ और चार बार कांग्रेस प्रत्याशी जीतें हैं.
- इस सीट पर एक बार जनता दल बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भी जीत चुके हैं .
- यहां के लोगों ने मुद्दों के आधार पर बाहर के प्रत्याशियों को भी विजय श्री का मुकुट पहना कर लोकसभा की दहलीज पर पहुंचाया है.
- जिसमें ओम प्रकाश त्यागी, आरिफ मोहम्मद खान, के.के.नय्यर, मौलाना मुजफ्फर हुसैन और कमल किशोर 'कमांडो' जो गैर जिलों के प्रत्याशी शामिल थे .