कुशीनगर: किसानों को फसल बुवाई में पानी की उपलब्धता कराने के लिए जिले में कई नहरें हैं, लेकिन नहरों में पानी न आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. जून में धान की बुवाई का उचित समय होता है और इस फसल के लिए पानी की आवश्यकता अधिक पड़ती है. ऐसे में नहरों का सूखा होना किसानों के लिए परेशानी का सबब है. महंगे हो चुके डीजल और बिजली के कारण किसानों को आधुनिक संसाधनों से सिंचाई करना महंगा पड़ रहा है. यही कारण है कि वह नहरों में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं.
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सूखी नहरों से निराश हैं किसान
जिले में इन दिनों धान की बुवाई शुरू की जा चुकी है, लेकिन अभी तक नहरों में पानी नहीं पहुंचा है. विभाग द्वारा हेड से टेल तक पानी पहुंचाने का दावा हर बार किया जाता है, लेकिन दावा हवा-हवाई ही साबित होता है. नहरों की न तो सफाई होती है और न ही उसमें पानी आता है. यही कारण है कि पानी के लिए या तो किसान निजी संसाधनों का प्रयोग करते हैं या ट्यूबल से बुवाई करते हैं. वर्तमान समय में बढ़ते डीजल के मूल्यों के आसमान छूने और विद्युत कटौती के कारण समय से बिजली नहीं मिल पाना किसानों को काफी निराश कर रहा है. विभाग द्वारा नहरों में पानी उपलब्ध न कराने के कारण धान बोने वाले किसानों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं.