उन्नाव: जिले के महिला अस्पताल में एसएनसीयू (सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में भर्ती नवजातों की मौत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है और बीते चार माह में 50 नवजातों की सांस थम चुकी है. वहीं प्रसव के दौरान 18 बच्चों की मौत हुई है. इस तरह चार माह में महिला अस्पताल में 68 नवजात अलग-अलग कारणों से दुनिया में आने के साथ ही मौत के मुंह में समा चुके हैं.
उन्नाव: जिला महिला अस्पताल में नहीं रुक रहा नवजातों की मौत का सिलसिला - jila mahila hospital me navjat baccho ki mot
जिले के महिला अस्पताल में नवजातों की मौत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. वहीं इस मामले पर जिला अस्पताल के सीएमएस ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि अस्पताल में जो मौतें हुई हैं, उनमें से ज्यादातर मामले प्राइवेट अस्पताल से रेफर किए हुए हैं.
महिला अस्पताल में होने वाली मौतों की जिम्मेदारी खुद लेने से बचती नजर आई महिला सीएमएस
जानिए क्या है पूरा मामला
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने नवजात बच्चों के बेहतर इलाज के लिए महिला जिला अस्पताल में एसएनसीयू खोल रखा है.
- यहां तीन नर्सों की तैनाती भी की गई है और जीवन रक्षक उपकरण के साथ ही दवाएं भी उपलब्ध हैं.
- नवजातों की देखरेख के लिए दो बाल रोग विशेषज्ञ महिला अस्पताल में नियुक्त हैं.
- इन व्यवस्थाओं के बाद भी 1 जनवरी से 30 अप्रैल तक 4 माह में 50 बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है.
- वहीं दूसरी तरफ महिला अस्पताल में इसी अवधि में प्रसव के दौरान 18 बच्चों की मौत हो चुकी है.
- इनमें कुछ बच्चे मृत पैदा होने वाले या फिर जन्म के कुछ देर बाद ही मौत का मुंह देख चुके हैं.
- वहीं मौतों को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने के बजाय अस्पताल प्रशासन इसे सामान्य हालात बता रहा है .
- इसे लेकर जब ईटीवी भारत ने महिला जिला अस्पताल की सीएमएस अंजू दुबे से बातचीत की तो उन्होंने बच्चों की मौत की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया.
- वहीं उन्होंने बताया कि जिन बच्चों की डिलीवरी बाहर सीएचसी, पीएचसी और प्राइवेट अस्पतालों में होती है और उस अंतराल में जब केस बिगड़ जाता है तो यहां रेफर कर दिया जाता है, जिसके चलते ये आंकड़ा बढ़ गया है.
Last Updated : May 26, 2019, 12:54 PM IST