लखनऊ: प्रदेश सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का असर उत्तर प्रदेश में दिखाई देने लगा है. एक साल के दौरान सरकार को 200 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं. अधिकारियों का दावा है साल भर के अंदर किसानों को उत्तर प्रदेश में अपनी कृषि उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगेगा.
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से बदलेगी किसानों की तकदीर. खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी हो रहे आकर्षित
उत्तर प्रदेश में कृषि फसलों की विविधता और बड़ी मात्रा में होने वाले उत्पादन ने देश-विदेश के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल के दौरान सरकार को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में आवेदन मिले हैं.
50 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयों को मिली अनुमति
सरकार ने पिछले साल 50 से ज्यादा प्रसंस्करण इकाइयों को हरी झंडी दिखाई है. सरकारी सूत्रों के अनुसार 35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक प्रदेश में सौ से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां काम करने लगेंगी और इससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा.
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के प्रस्तावित निवेश
- कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की 58 इकाइयां
- फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग में 38 इकाइयां
- अनाज प्रोसेसिंग में 72 इकाइयां
- हर्बल प्रोसेसिंग में तीन इकाइयां
- मीट- पोल्ट्री - फिश प्रोसेसिंग में दो इकाइयां
- मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट प्रोसेसिंग में 11 इकाइयां
- आयल सीड प्रोसेसिंग मे 5 इकाइयां