लखनऊ: उत्तर प्रदेश की खनन निदेशक डॉ. रोशन जैकब ने अवैध वसूली की शिकायतों का संज्ञान लिया है. इसके चलते उन्होंने प्रदेशभर के प्रवर्तन कार्यों में लगाए गए आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. खनन निदेशक रोशन जैकब के इस फैसले से 33 कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. इन सभी को हटाने की नोटिस जारी करते हुए आदेश जारी किए गए हैं.
अवैध वसूली के लगे थे आरोप
एक तरफ उत्तर प्रदेश में सवा करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात हो रही है. वहीं दूसरी ओर खनन विभाग में आउटसोर्स किए गए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं. इनमें कुछ कर्मचारियों पर बांदा में काम के दौरान अवैध वसूली करने के आरोप लगे थे.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि दैनिक वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों को जहां बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. वहीं उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की जांच में तमाम ऐसे अफसर इंजीनियर और अन्य कर्मचारी दोषी पाए गए हैं, लेकिन सरकार ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं कर पाई है.
रोजी-रोटी का संकट
कोरोना के संकट काल में जहां एक तरफ करोड़ों लोगों को रोजगार देने के दावे किए जा रहे हैं. वहीं सरकार ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को हटाकर उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा कर दिया है. कार्रवाई के पीछे शिकायतें होने की बात कही गई है.
अवैध वसूली की शिकायत पर कार्रवाई
निदेशक खनन रोशन जैकब ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों में प्रवर्तन कार्यों के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारी लगाए गए थे. पिछले दिनों कार्य के दौरान प्रवर्तन कार्य में लगे आउटसोर्सिंग कर्मियों द्वारा अवैध वसूली किए जाने की शिकायतें प्राप्त हुई थी. इसके बाद पूर्व में पारित आवंटन आदेशों को निरस्त करते हुए सभी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक 33 कर्मचारियों को हटाया गया है.