उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / briefs

बलरामपुर में 8 साल से नहीं हुआ मिड-डे-मील योजना का ऑडिट - balrampur basic education department

बलरामपुर में बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है. विभाग की मनमानी के चलते जिले में चल रहे सरकारी स्कूलों में दोपहर के समय बच्चों के दिए जाने वाले भोजन की धनराशि का आठ सालों से ऑडिट नहीं हुआ है.

बलरामपुर में 8 साल से नहीं हुआ मिड डे मील योजना का ऑडिट.

By

Published : May 18, 2019, 8:39 AM IST

बलरामपुर: जिलेभर के 576 प्राथमिक विद्यालय और 646 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 2,53,000 बच्चों को रोजाना मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत भोजन दिया जाता है. बच्चों के भोजन के लिए बेसिक शिक्षा विभाग खाद्यान्न के साथ-साथ कन्वर्जन कास्ट लगातार भुगतान करता है, लेकिन इसमें चौंकाने वाली बात सामने आ रही है. बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही समझे या इसे विभागीय मनमानी, पिछले आठ सालों से लगातार परिषदीय व जूनियर हाईस्कूलों को भेजी जा रही मध्यान्ह भोजन की धनराशि का ऑडिट ही नहीं हुआ है.

  • सरकारी धन का प्रत्येक वर्ष के मार्च महीने में ऑडिट किया जाता है, लेकिन वर्ष 2010-11 के बाद से बेसिक शिक्षा विभाग ने मिड डे मील के नाम पर खर्च की गई धनराशि का अभी तक ऑडिट नहीं करवाया है.
  • आठ साल बाद जब मार्च 2019 को ऑडिट तिथि लेखा परीक्षा अधिकारी ने निर्धारित की तो आवश्यक अभिलेख न होने का बहाना बनाकर अधिकारियों ने इससे पल्ला झाड़ लिया.
  • वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी का कहना है कि ऑडिट तिथि निर्धारित की थी, लेकिन स्कूलों में परीक्षा व चुनाव का हवाला देकर फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
  • जानकारों की मानें तो मिड-डे-मील से जुड़े कई अभिलेख विभाग को ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं. मिड-डे-मील का हिसाब-किताब कई विद्यालयों के पास है ही नहीं.
  • वहीं इस योजना पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपये का लाभ भी बच्चों को न मिलने की बात भी सामने आती रही है. जिसपर प्रशासन ने कार्रवाई भी की है.
    बलरामपुर में 8 साल से नहीं हुआ मिड डे मील योजना का ऑडिट.

मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिहर प्रसाद भारती का कहना है कि:

  • पिछले आठ सालों से मिड डे मील योजना का ऑडिट ना हो पाने का कोई तर्क ही नहीं है.
  • प्रत्येक साल हमारे यहां विभागीय ऑडिट होती है. उसमें मिड डे मील योजना से जुड़े कागजातों को भी जांचा परखा जाता है.
  • उन्होंने कहा कि ऑडिट करने वाली एजेंसी के द्वारा तिथियों को बार-बार डाल दिया जाता है. इस वजह से ऑडिट नहीं हो पा रहा है.
  • हमने मिड-डे-मील समन्वयक को कहा है कि जल्द से जल्द विद्यालयों और विभाग के लोगों को सूचित करके जिम्मेदार एजेंसी से ऑडिट करवाने का काम करें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details