बाराबंकी: किसानों का हरा सोना कही जाने वाली मेंथा की फसल पिछले कुछ दशकों से बाराबंकी की पहचान बन चुकी है. देश के कुल उत्पादन का 70 फीसदी मेंथा अकेले बाराबंकी में पैदा होता है. इस फसल ने किसानों के जीवन तो बदल ही दिया है साथ ही मेंथा से सरकारों को खासा राजस्व भी मिलता है. मगर हैरानी तब होती है जब मेंथा फसल को आज तक न तो कृषि का दर्जा मिला और न ही बागवानी का.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा उत्पादक और निर्यातक देश है. इसे जापानी पुदीना के नाम से भी जाना जाता है. विश्व में मेंथा आयल का कुल उत्पादन करीब 16 हजार टन है और उसमें अकेले भारत की भागीदारी करीब 75 फीसदी है. खास बात ये कि इस उत्पादन में अकेले बाराबंकी का हिस्सा 70 फीसदी है. बाराबंकी और आसपास के किसान करीब तीन दशकों से मेंथा की खेती कर रहे हैं और बाराबंकी में करीब एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में ये खेती की जाती है. करीब तीन लाख किसान मेंथा की खेती कर खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं. जिले में मेंथा आयल का चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना निर्यात होता है. इससे सरकार को हर वर्ष खासा राजस्व मिलता है.