लखनऊ:इन दिनों 'चमकी बुखार' की वजह से बिहार राज्य चर्चा में बना हुआ है. इस बुखार की वजह से बिहार में करीब सैकड़ों बच्चे जान गवां चुके हैं. इसी को मद्देनजर रखते हुए राजधानी इस त्रासदी से निपटने के लिए तैयार है. इसकी जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल से बात की और तमाम व्यवस्थाएं जानीं.
बिहार में चमकी बुखार का प्रकोप
- इन दिनों बिहार में चमकी बुखार कहर बरपा रहा है.
- हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है.
- बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का प्रकोप सबसे ज्यादा है.
- इसको लेकर प्रदेश में भी अभियान चलाए जा रहे हैं.
लखनऊ के सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ये बोले
हिंदी में इस बुखार को 'चमकी बुखार' और अंग्रेजी में 'एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम' के नाम से जाना जाता है. इस बुखार को हर राज्य में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसे 'जापानी बुखार' भी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि यह बुखार संचारी रोग में आता है.
एसकेएमसीएच के आंकड़ों के मुताबिक
- चमकी बुखार से साल 2012 में सबसे ज्यादा 120 मौतें हुईं.
- 2013 में 39 और साल 2014 में 90 मौतें, फिर 2015 में 11 मौतें हुईं.
- 2016 में चमकी बुखार से 4 मौतें और 2017 में 11 मौतें हुई.
- 2018 में चमकी बुखार से 7 बच्चों की जान गई थी.
- इस साल चमकी बुखार में बच्चों के मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं.