लखनऊ: शहर के सरकारी अस्पतालों में तैनात कुछ डॉक्टर-कर्मियों पर बदनीयत हावी है. पेशे से जुड़े दूसरे स्टाफ को भी शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ रहा है. ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कालाबाजारी में दबोचे गए लोहिया संस्थान के जूनियर रेजिडेंट डॉ. वामिक हुसैन को नौकरी से निकाल दिया गया है. वहीं केजीएमयू के दो कर्मियों पर जांच चल रही है.
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डॉक्टर कर रहे हैं चोरी
पुलिस ने बुधवार को ब्लैक फंगस की दवा की कालाबाजारी कर रहे एक मेडिकल स्टाफ को पकड़ा. इसमें एक लोहिया संस्थान का जूनियर रेजिडेंट डॉ. वामिक हुसैन भी शामिल है. वहीं दो केजीएमयू में संविदा कर्मी के पद पर तैनात हैं. पुलिस की कार्रवाई के बाद लोहिया संस्थान प्रशासन हरकत में आया. आनन-फानन में आरोपित रेजिडेंट डॉक्टर का ब्योरा खंगाला गया. यह डॉक्टर इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में जूनियर रेजिडेंट के पद पर करीब डेढ़ साल से तैनात है.
संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह के मुताबिक आरोपित जूनियर रेजिडेंट डॉ. वामिक हुसैन को नौकरी से हटा दिया गया है. डॉ. श्रीकेश ने संस्थान से इंजेक्शन चोरी की बात को खारिज किया है. उन्होंने बताया कि भर्ती व ओपीडी मरीज के सीआर नम्बर के आधार पर दवाएं जारी होती हैं. बिना सीआर नम्बर दवाएं स्टोर से बाहर नहीं आ सकती हैं.
केजीएमयू प्रशासन ने कहा होगी कड़ी कार्रवाई
कालाबाजारी में पकड़े गए केजीएमयू के दो संविदा कर्मचारी पर कार्रवाई का कोई फैसला अभी नहीं हुआ है. केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक पुलिस की तरफ से अभी पत्र आने का इंतजार किया जा रहा है. जैसे पत्र आएगा कड़ी कार्रवाई होगी. डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि मरीजों की दवा चोरी होना कठिन है, क्योंकि प्रत्येक मरीज के लिए यह दवाएं जारी की जाती हैं. इन दवाओं का इस्तेमाल मरीज व तीमारदार के सामने होता है.
दवा के खेल में पहले भी पकड़े गए हैं कर्मी
दवा के खेल में अस्पताल के कर्मी पहले भी पकड़े जा चुके हैं. इससे पहले कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन रेमडेसिविर चोरी के मामले में दो संविदा कर्मचारियों पर कार्रवाई हो रही है. ये लोग मरीजों का इंजेक्शन बाहरी लोगों को महंगी कीमत पर बेच रहे थे. शक के आधार पर जांच कराई गई है. केजीएमयू प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. केजीएमयू प्रशासन ने दोनों को नौकरी से हटा दिया है.