गोरखपुर: जिले में शहर के बाद अब ग्रामीण इलाके के लोग भी भू माफियाओं के जाल में फंस रहे हैं. गांवों के चौराहों के आस-पास की खेतिहर जमीन अब भू माफियाओं के निशाने पर है. भू माफिया के दलाल हर गली में लगातार घूम रहे है. ये लोग गरीब किसानों को शराब की लत लगाकर, सूद पर पैसा दिलाने के बाद उनकी जमीनों को अपने नाम कम दाम पर एग्रीमेंट कराकर मनमानी दर से बेच रहे हैं. वहीं विभाग इन पर नकेल कसने में विफल दिख रहा है. उपनिबंधक ऑफिस के बाहर नियमित ग्रामीण क्षेत्रों से कुछ लोग ये कहते हुए आते हैं कि मेरे परिवार का मुखिया भू माफियाओं के बहकावे में आकर जमीन बेचना चाहते हैं.
दूसरी तरफ तहसील क्षेत्र में कुछ ऐसी महिलाएं है, जिनके पति शराबी हो गए हैं या जिन्होंने दूसरी शादी कर ली है. वो अपने बच्चों के भरण पोषण के लिए अपने जमीन बचाने के लिए स्थानीय उपनिबंधक कार्यालय का नियमित चक्कर काट रही है. चौरीचौरा क्षेत्र के भाऊपुर की रहने वाली रामरती की कहानी भी कुछ इस तरह ही है. इनके पति रामानन्द अहमदाबाद में होटल चलाते है. रामानन्द ने 1996 तक रामरती के साथ जीवन यापन किया. इस दौरान इनके एक लड़का और एक लड़की भी पैदा हुई. करीब 13 साल तक रामानंद गांव नहीं लौटे. इस दौरान रामरती ने अपने बच्चों को मजदूरी करके भरण पोषण किया और अपने दोनों बच्चों का शादी भी करा दी. कई वर्षो तक रामरती को लगा कि उनकी दुनिया उजड़ चुकी है. बच्चों को लगा था कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है.