सीतापुर : नैमिषारण्य को सतयुग का तीर्थ माना जाता है. यहीं पर आदिशक्ति मां ललिता देवी विराजमान हैं. इन्हें मां त्रिपुर सुंदरी ललिता देवी के नाम से जाना जाता है. यहां पर देवी मां का जो स्वरूप है वह शिवलिंग धारिणी है, इसलिए माता को प्रयागे ललिता देवी, नैमिषे लिंग्धारिणी के नाम से पुकारा जाता है.
यहां गिरा था सती का हृदय, पूरी होती हैं मांगलिक कार्यों की मान्यताएं - सती का हृदय
सती का हृदय गिरने से हुई इस शक्तिपीठ की स्थापना. यहां मांगलिक कार्यों की सभी कामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य इन दिनों दर्शनार्थियों की रौनक से गुलजार है.
मान्यता है कि पिता के अपमान से आहत होकर जब सती जी ने यज्ञकुंड में अपने प्राणों की आहुति दी थी, तब क्रोध में विरहातुर होकर भगवान शिव सती जी के शरीर को लेकर इधर-उधर घूमने लगे. इससे सृष्टि की व्यवस्था छिन्न भिन्न होने लगी. तब सती जी के शरीर के 108 टुकड़े किए गए. मान्यता है कि जिस स्थान पर सती के शरीर का भाग गिरा वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई. इस प्रकार नैमिषारण्य में ह्रदय भाग गिरने से यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मांगलिक कार्यों से जुड़ी हुई मनोकामनाएं यहां विशेष रूप से पूरी होती हैं. इसमें लोगों के शादी, विवाह और पुत्ररत्न की प्राप्ति आदि प्रमुख हैं.
आजकल नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. बड़ी संख्या में साधक भी इस स्थान पर आकर अपनी साधना करते हैं. रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर मां की पूजा-आराधना करते हैं. अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मां से प्रार्थना करते हैं. मां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करके उनका उद्धार करती हैं.