हरदोई: यूं तो हरदोई जिले में तमाम ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं, लेकिन बात जब विक्टोरिया हॉल की आए जिसे घंटाघर के नाम से जाना जाता है, तो हरदोई की शान बनकर हमेशा से ही ये चर्चाओं में रहा है. इस समय हम जहां मौजूद हैं ये इमारत हरदोई जिले की बेहद ऐतिहासिक इमारतों में से एक है.
हरदोई का हस्ताक्षर शिल्प भवन है क्वीन विक्टोरिया मेमोरियल गुलाम भारत देश की 1877 ई. में जब महारानी विक्टोरिया सम्राज्ञी घोषित हुईं, तो भारत वर्ष में दो स्थानों पर इतिहास में समेटने के लिये विक्टोरिया मेमोरियल भवनों का निर्माण कराया गया. उनमें से एक तत्कालीन विक्टोरिया मेमोरियल कलकत्ता जो आज कोलकाता है और दूसरा हरदोई में.
वर्तमान में इस भवन में हरदोई क्लब संचालित है. हरदोई में निर्मित इसी विक्टोरिया भवन परिसर जिसे टाउन हाल कहा जाता था में रिक्त पड़े विशाल भूभाग पर महात्मा गांधी ने 1929 में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था जिसमें लगभग 4000 व्यक्ति सम्मिलित हुये थे.
1886 को महारानी विक्टोरिया के शासनकाल की जयंती मनाने के लिए हरदोई में एक जयंती मनाने के लिए हरदोई में एक दरबार का आयोजन किया गया था. इसी क्रम में जयंती की यादगार में 5 फरवरी 1888 में इस विक्टोरिया हॉल का भी निर्माण जिले के तालुकेदारों व राजाओं ने चंदा इकठ्ठा कर करवाया था.
आज भी सैकड़ों वर्षों पुराना विक्टोरिया हॉल मजबूती की मिसाल कायम किये हुए है. आज भी यहां तमाम रेयर और एंटीक धरोहरें मौजूद हैं. अब यहां हरदोई क्लब संचालित किया जाता है. जिसमें जिले के बड़े रसूख वाले लोग एकत्र होकर यहां रखी खेल की चीज़ों का लुफ्त उठाते हैं. आज भी इसमें सैकड़ों वर्षों पुरानी वेटलिफ्टिंग घड़ी और पंचरतनीय घंटा मौजूद है.
ये तस्वीरें हरदोई जिले के विक्टोरिया हॉल की हैं, जिसे 5 फरवरी 1888 में बना कर तैकर किया गया था. देश मे इस तरह की इमारतें बहुत कम हैं, जिनमें से एक हरदोई जिले का ये विक्टोरिया हॉल है. इसे क्वीन विक्टोरिया की याद में निर्माणित किया गया था.
इस इमारत में लगी घड़ी 1888 के आस पास की है. ये घड़ी लन्दन की एक मशहूर कंपनी द्वारा तैयार की गई थी, यहां के लोग दावा करते हैं कि ऐसी घड़ियां अब भारत मे नहीं हैं. एक मात्र इस घड़ी को संजोकर हरदोई में रखा गया है. इसमें लगा ये घंटा भी पंचरतनीय है जो लाखों की कीमत का है .वहीं यहां रखी बिलियर्ड टेबल भी पूरे देश में एक ही होने का दावा यहां के केयर टेकर सुरेश ने किया है. इस एंटीक टेबल का लुफ्त इस दौरान जिले के रसूखदार उठा रहे हैं.
बात अगर इस इमारत की बनावट और मजबूती की करें, तो आज सैकड़ों वकर्ष बीत जाने के बाद भी इसमें एक दरार तक नहीं आई है. वहीं आज भी यहां तमाम एंटीक चीजें मौजूद हैं, जिसमें बिलियर्ड, टेबल, घड़ी और घंटा आदि हैं.
विक्टोरिया हॉल के केयर टेकर ने विधिवत जानकारी से अवगत कराते हुए यहां के इतिहास और गहराए महत्व का वर्णन किया. सुरेश बताते हैं कि यहां की घड़ी, बिलियर्ड टेबल के साथ ही बिजली की सप्लाई करने वाली बिजली की लाइनें भी 1888 की हैं, जो कि आज भी अधिक से अधिक लोड झेल सकती हैं. दरअसल ये बिजली के तार कोई आम तार नहीं हैं बल्कि सिल्वर कोटेड वायर्स हैं.
तो जैसा कि आप ने जाना कि तीन पीढ़ियों से यहां की देख रेख करने वाले सुरेश ने इस विक्टोरिया हॉल की खूबियों और महत्व से अवगत कराया. कुछ ऐसी है इस विक्टोरिया हॉल की कहानी, जो आज भी इतिहास के पन्नो में गहराई है और देश वासियों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.