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कुशीनगर: नकली शराब के पीडितों का दर्द - AABKARI MANTRI

कुशीनगर में जहरीली शराब से बडी़ तादाद में मौतें होने के बावजूद पीड़ित परिवार अब भी भगवान भरोसे है. चार दिन बाद भी न तो सरकार का कोई मंत्री पीड़ित परिवारों के बीच पहुंचा है और न ही सभी पीड़ित परिवारों तक सरकारी मदद पहुंच पाई है.

कुशीनगर:नकली शराब के पीडितों का दर्द

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Published : Feb 11, 2019, 10:45 AM IST

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में बिहार प्रान्त की सीमा से सटे इलाके में नकली शराब के कहर से पीड़ित परिवारों का दर्द जानने आज ईटीवी भारत की टीम ने हर उस गांव का भ्रमण किया जहां मौतें हुई थीं. परिवार के किसी व्यक्ति के असमय चले जाने की पीड़ा के बीच उन लोगों ने नकली शराब कारोबार के बारे में बताया. वहीं पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत की बात भी खुद ब खुद उनके जुबां पर आ ही गयी. लोगों ने कहा यदि अस्पताल नजदीक होता तो जान बच सकती थी.

कुशीनगर:नकली शराब के पीडितों का दर्द

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहरीली शराब से मरने वालों के परिवारों को दो दो लाख रुपये की मदद की घोषणा की है. रविवार तक पीड़ित परिवारों को मदद नहीं पहुंची. जिलाधिकारियों ने 30-30 हजार रुपये की मदद पारिवारिक लाभ योजना के तहत मृतक आश्रितों तक पहुंचाई है. कुशीनगर के जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री सहायता कोष से घोषित दो दो लाख रुपये की मदद के लिए कार्यवाही चल रही है.

बिहार प्रान्त की सीमा से सटे जिले का अंतिम गांव अहिरौलीदान का इलाका कुछ महीने पहले ही अवैध स्प्रिट की बड़ी बरामदगी के कारण चर्चा में आया था. ईटीवी भारत ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया भी था. उसी इलाके से सटे खैरटिया जलाल छापर में चार दिन पहले नकली शराब की कहर से तीन लोग असमय काल के गाल में समा गए. इन्ही में से एक गांव में विकलांगता की मार झेल रहे एक ही परिवार के दो बेटों दिवाकर और ओम दीक्षित ने भी उस जहर को अनजाने में पी लिया और फिर देखते ही देखते दम तोड़ दिया.

आसपास कोई अच्छा सरकारी या निजी क्षेत्र का अस्पताल नहीं था, जिसमें उनका इलाज हो सके. मृतक विजय गुप्ता के बेटे ने बताया कि प्रशासन के लोग आए थे, लेकिन अभी तक कोई सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं हो पायी है.

खैरटिया गांव का दृश्य देखने के बाद पांच किमी. दूर जवही दयाल गांव के खलवा चैनपट्टी टोले पर पहुंचने पर पूरे गांव में मातम जैसा माहौल था. ग्रामीणों ने बताया कि यहांं के डेबा निषाद, हीरालाल निषाद और अवध निषाद ने नहान के बाद मेले से लौटने के बाद अवैध शराब की दुकान से लेकर पी लिया था. परिवार वालों को तब पता चला जब उनके पेट में दर्द और शरीर मे ऐंठन दिखने लगा. जब तक लोगों ने एम्बुलेंस को फोन कर बुलाना चाहा तब तक एक के बाद एक करके तीनों लोगों ने दम तोड़ दिया. एक मृतक परिवार के ही ध्रुव प्रसाद निषाद ने स्पष्ट रुप से इस अवैध कारोबार के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार बताया. उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधान ने इसे रोकने के लिए अभियान चलाया था लेकिन उन्हें मारा पीटा तो गया ही साथ ही फर्जी बलात्कार के मुकदमे में भी फंसा दिया गया.


विकास के थोथे दावे के बीच बिहार और यूपी की सीमा का बंटवारा करने वाली नारायणी नदी के किनारे पर बसे इन गांवो से किसी मरीज को अस्पताल तक पहुंचाना सामान्य बात नहीं है और ऐसे विषम परिस्थिति में जब मौत हर क्षण आहट दे रही थी. तब तो विषय और भी गंभीर हो जाता है. 21 वीं सदी की काल्पनिक बातों के युग मे ये घटनाएं हमे बताती हैं कि अभी जमीन पर बहुत कुछ करना बाकी है.

कुशीनगर और सहारनपुर में जहरीली शराब से हुई मौतों के मुद्दे पर सोमवार को विधानसभा में हंगामा होने के आसार है. सपा, बसपा और कांग्रेस ने जहरीली शराब पर हुई मौतों का मामला सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही उठाने की योजना बनाई है. विपक्षी दल आबकारी मंत्री सहित सरकार से भी इस्तीफे की मांग कर सकता है. उधर, सरकार ने भी सदन में जवाबी कार्यवाही की तैयारी की है. आबकारी मंत्री जयप्रताप सिंह ने रविवार को विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की. सिंह ने बताया कि वे सोमवार को सदन में जवाब देंगे.

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