बलरामपुर: बलरामजिलेका अपना एक बड़ा इतिहास है. बलरामपुर राजवंश अपनी दानशीलता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है.लेकिन यहां पर अंग्रेजी शासन के द्वारा करवाए काम भी इतिहास की याद दिलातेहैं. बलरामपुरऔर गोंडा जिले की सीमा का बंटवारा करने वाली कुआंनो नदीपर बना एक पंप हाउस अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है.यह पम्प हॉउस उस समय 50 गावों की सिंचाई और पानी की जरूरतों को पूरा करता था.
अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है कुआनो नदी पर पंप
बलरामपुर और गोंडा जिले की सीमा का बंटवारा करने वाली कुआंनो नदी अपने आपमें इतिहास के कई पन्नों को समेटे हुए है. यहां पर बना एक पंप हाउस अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है. यह पम्प हॉउस उस समय 50 गावों की सिंचाई और पानी की जरूरतों को पूरा करता था.
इस नदी की सबसे खास बात यह है कि इस काजल कभी सूखता नहीं है.यह हमेशा कल कल बहती रहती है.कभी फसलों की प्यास बुझाती है तो कभी लोगों की प्यास बुझाती है.यही पर बना है एक पंप हॉउस, जो अंग्रेजी जमाने की याद दिलाता.लेकिन मौजूदा पीढ़ी को इसका इल्म ही नहीं है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरानकुआंनो नदी से एक 12 कमरों वाले पम्प हाउस का निर्माण करवाया गया था.साल 1931 में अंग्रेजी सरकार द्वारा शुरू किए गए इस पंप हाउस का निर्माण साल 1934 में बंद कर पूरा हुआ.
इंग्लैंड के इंजीनियरों ने किसानों तक पानी पहुंचाने के लिए कई टन, लोहे के पाइप, ट्रांसफार्मर, ऑपरेटिंग मशीन समेत अन्य संयंत्रों से भवनों को लैस करवायाथा. गांवों तक पानी को पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाई गई और नालियों का निर्माण करवाया गया. अब यह भवन खंडहर बन चुका है और अधिकांश संयंत्र व चीजें चोरी हो चुकी हैं.लेकिन नदी में पाइप अभी भी पड़ी हुई है.
एक नवयुवक ने बताया कि हमारे बाबा वगैरह इस बारे में बात तो किया करते थे.लेकिन पंप हाउस पर एक दो बार ही आना हुआ.इस पंप के द्वारा सिंचाई की बात कही जाती है.लेकिन जब से हम बड़े हुए हैं तब से यह बंद ही रहा है.