लखनऊ: डॉक्टरों का दावा, वापस आ सकती है डायबिटीज मरीजों की आंखों की रोशनी - return eyesight of Diabetes patients
लखनऊ स्थित केजीएमयू के डॉक्टरों ने यह पता लगाने में कामयाबी हासिल की है कि डायबिटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित मरीज को एमपीवीईजीएस से फायदा होता है.
लखनऊ: राजधानी की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में नेत्र विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संदीप सक्सेना ने डायबिटिक रेटिनोपैथी के पीड़ित मरीज को एमपीवीईजीएस के जरिए ऑखों को फायदा पहुंचाने का दावा किया है. उनके इस शोध को लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ ऑप्थलमोलाॅजिस्ट के प्रतिष्ठित जनरल आई में मान्यता मिली है.
केजीएमयू के डॉक्टरों ने यह पता लगाने में कामयाबी हासिल की है कि डायबिटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित मरीज को एमपीवीईजीएस से फायदा होता है. केजीएमयू के डॉक्टर संदीप सक्सेना का यह शोध लंदन के नेचर आई जनरल में प्रकाशित हुआ है. इनका दावा है कि विश्व में पहली बार एमपीवीईजीएस थेरेपी के असर का पता लगाया गया है. डॉ. संदीप ने बताया कि कोई मरीज आता है और कहता है कि इंजेक्शन के बाद भी फायदा नहीं हो रहा है तो वह OCT मशीन से लेयर को देखकर डॉक्टर पता कर सकेंगे कि यह इंजेक्शन काम कर रहा है या नहीं.
प्रोफेसर संदीप सक्सेना का कहना है कि साल 2013 में शोध कर पता लगाया गया था कि डायबिटीज से ब्लड और आंख के पर्दे में वीईजीएस बायोकेमिकल बढ़ जाता है, इससे आंख के परदे की 10 लेयर में से दो लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि पहले ईएलएम फिर फोटो रिसेप्टर लेयर क्षतिग्रस्त होती है. उन्होंने बताया कि शोध के दौरान पता चला कि इससे आंखों की रोशनी कम हो जाती है और बाद में एमपीवीईजीएस थेरेपी शुरू होती है.