वाराणसी: करीब 600 साल पहले लहरतारा तालाब के किनारे डलिया में मिले कबीर ने अपनी वाणी, अपने दोहों के बल पर एक अलग ही छाप छोड़ी है. आज भी कबीर प्रसांगिक हैं और उन्हें लोग पढ़ते हैं. 17 जून को कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव मनाए जाने की तैयारी वाराणसी में चल रही है. इस बीच कबीर की कर्मभूमि यानी कबीरचौरा स्थित कबीर आदि मूल गादी मठ में हाईटेक तौर पर 'कबीर' से लोगों को रूबरू कराने की तैयारी चल रही है.
वाराणसी: हाईटेक होगा कबीर मठ, 'कबीर' खुद सुनाएंगे अपनी जीवन गाथा - हाईटेक होगा कबीर मठ
17 जून को कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव मनाए जाने की तैयारी है. इस बीच कबीर की कर्मभूमि यानी कबीरचौरा स्थित कबीर आदि मूल गादी मठ में हाईटेक तौर पर कबीर से लोगों को रूबरू कराने की तैयारी चल रही है.
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कबीर मठ
मनाया जाएगा कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव.
कुछ इस तरह का होगा कबीर मठ-
- कबीरा तेरी झोपड़ी गलकट्टो के बीच, जो करेगा वो भरेगा तू काहे होत उदास, यह दोहा कबीर ने खुद अपने उस कर्मभूमि के लिए लिखा जहां पर उनका बचपन बीता.
- कबीर चौराहा स्थित कबीर मूल गादी मठ वह स्थान है जहां पर कबीर के पालनकर्ता नीरू और नीमा की समाधि मौजूद है.
- लहरतारा तालाब के निकट जब नीरू और नीमा ने कबीर को पाया उसके बाद उनका पालन पोषण इसी स्थान पर रहकर किया गया.
- यह स्थान उन कबीरपंथियों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जो कबीर को मानते हैं और उनकी राह पर चलते हैं.
- यही वजह है कि लंबे वक्त से चल रही तैयारियों के बाद अब कबीर की कर्मभूमि के इस स्थान को कबीर स्मारक के तौर पर तैयार करने की तैयारी शुरू हो गई है.
- लगभग 2 करोड रुपये से ज्यादा के बजट से कबीर साहब की इस कर्मभूमि को हाईटेक रूप दिया जाना है.
- इसके लिए यहां पर एक हाईटेक झोपड़ी तैयार होगी, जिसमें कबीर के बचपन से जवानी और उनके जीवन के अंतिम समय तक की सारी कहानियों को 15 मिनट के अंदर दर्शाने की कोशिश की जाएगी.
कबीर मठ के महंत विवेक दास के अनुसार-
- इस परिक्रमा पथ पर कबीर साहब के जीवन से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ इसे हाईटेक रूप देने की कोशिश की जा रही है.
- दिल्ली और बनारस के बड़े आर्किटेक्ट ने झोपड़ी का नक्शा तैयार किया है.
- कबीर स्मारक में तीन परिक्रमा पथ होंगे जो आध्यात्मिक मानसिक व दैहिक स्थितियों के प्रतीक होंगे.
- दो झोपड़ियों में से एक झोपड़ी में कबीर का चरखा चलेगा, जबकि दूसरे में कबीर से जुड़ी तमाम चीजें मौजूद रहेंगी.
- 10 मीटर पहले से ही झोपड़ी में लगा सेंसर अपना काम करना शुरू कर देगा. चरखा खुद से चलने लगेगा.
- सबसे बड़ी बात यह है कि 15 मिनट की एक वॉइस ओवर डॉक्यूमेंट्री इसके लिए तैयार की जा रही है जो इस झोपड़ी में लगाई जा रही.
- जर्मनी की लाइटिंग के साथ यह प्ले होगी और खुद कबीर लोगों का स्वागत करेंगे और अपनी जीवन गाथा सुनाएंगे.