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जौनपुर का माधव पट्टी गाँव, जहां आईएएस और आईपीएस होते हैं पैदा

जिले का माधव पट्टी गांव अबतक देश को 50 के आसपास आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारी दे चुका है. सिरकोनी विकास खंड के इस गाँव की संख्या मात्र चार हजार के आसपास है. इस गांव में पैदा होने वाले बच्चों को लोग कहते हैं कि आईएएस या आईपीएस पैदा हुआ है.

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Published : Feb 17, 2019, 1:47 AM IST

माधव पट्टी गांव

जौनपुर: जिले का माधव पट्टी गांव अबतक देश को 50 के आसपास आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारी दे चुका है. सिरकोनी विकास खंड के इस गाँव की संख्या मात्र चार हजार के आसपास है. इस गांव में पैदा होने वाले बच्चों को लोग कहते हैं कि आईएएस या आईपीएस पैदा हुआ है.

माधव पट्टी गांव



कला, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी जौनपुर शहर

जिला मुख्यालय से ग्यारह किलोमीटर दूर सरकोनी विकासखंड के माधव पट्टी गांव में आईएएस,आईपीएस, पीसीएस एवं आईएफएस अधिकारी की संख्या 47 के करीब है. जबकि अन्य सरकारी विभागों में सैकड़ों की संख्या में लोग कार्यरत है. गांव के इंदु प्रकाश सिंह 1951 में आईएफएस के लिए चुने गए जनको करीब 16 देशों में भारत के राजदूत बनने का गौरव प्राप्त हुआ. उन्हीं के भाई विद्या प्रकाश सिंह 1953 में आईएएस चुनें गए. जिसके बाद गाँव में आईएएस, आईपीएस और पीसीएस बनने का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है. अब तक 47 लोग सिविल सेवाओं में चयनित होकर जिले का मान बढ़ा चुके हैं जबकि सिविल क्षेत्र में 100 के ऊपर लोग कार्यरत है.


गांव के इतिहास के बारे में बताते डॉक्टर सजल सिंह

टीडी कालेज के इतिहास विभाग में कार्यरत डॉ सजल कुमार ने बताया कि गांव में आईएएस, आईपीएस एवं पीसीएस अधिकारियों की संख्या मिलाकर 47 है. गाँव में सरकारी विभागों में काम करने वाली की संख्या 100 के ऊपर है. हम लोगों को जीन्स में ही शिक्षा और कला मिली है. उन्होंने बताया कि हम लोग गुजरात के ठड्डागण के के रहने वाले है. वहाँ से माइग्रेट होकर अनिल वाडा चले गए जहां सोलंकियों का शासन था. वहां से बाबर के समय खानवा युद्ध के बाद जौनपुर चले आए. जौनपुर में साई और गोमती नदी के बीच जो भूभाग था. जलाल खान ने जागीर के रूप में हमें दे दिया तब से हम लोग जौनपुर के बाशिंदे हो गए. जौनपुर में सोलंकियों के गांव की संख्या 16 है. हमारे जींस के अंदर शिक्षा के प्रति अनुराग, स्थापत्य कला में हम लोग अधिक रुचि रखते थे जिसका यह परिणाम हुआ यहां पर हम लोग आकर अनेक शैक्षणिक संस्थाएं खोलने का कार्य किया. टीडी कॉलेज सोलंकियों के कीर्ति पताका का एक प्रतीक है|

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