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बरेलीः उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने की मंडी शुल्क और सेस वापस लेने की मांग

प्रदेश सरकार ने मंडी समितियों के अन्दर कारोबार करने वाले व्यापारियों, आढ़तियों पर 1.50 प्रतिशत मंडी शुल्क और 0.50 प्रतिशत मंडी सेस लगा दिया है. इसी के खिलाफ बुधवार को बरेली जिले में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया और इस टैक्स को वापस लिए जाने की मांग की.

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प्रदर्शन करते उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी.

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Published : Jun 17, 2020, 9:35 PM IST

बरेलीःबुधवार को जिले में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने मंडी टैक्स को खत्म करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. व्यापारियों का कहना था कि प्रदेश सरकार ने मंडी समितियों के अन्दर कारोबार करने वाले व्यापारियों, आढ़तियों पर 1.50 प्रतिशत मंडी शुल्क और 0.50 प्रतिशत मंडी सेस लगा दिया है, जिससे व्यापारियों को काफी हानि हो रही है.

लगातार हो रहा व्यापारियों का शोषण
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल व मंडी से जुड़े व्यापारियों ने अपनी समस्याओं को प्रशासन व राज्य सरकार तक पहुंचाने के लिए जिले की डेलापीर सब्जी मंडी के पास प्रदर्शन किया. व्यापारियों का कहना था कि लगातार व्यापारियों का शोषण होता जा रहा है. करोना के कारण भी व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है और अब राज्य सरकार ने भी मंडी शुल्क और सेस व्यापारियों पर थोप दिया है, जिससे व्यापारियों के ऊपर दोहरी मार पड़ रही है. सभी व्यापारियों ने सीएम योगी को संबोधित ज्ञापन जिले के कृषि उत्पादन मंडी समिति के सभापति को सौंपा.

मंडी का कारोबार चौपट होने के कगार पर
व्यापार मंडल अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि केन्द्र सरकार ने मंडी समिति का शुल्क और लाइसेंस समाप्त कर दिया है, जिसका सभी व्यापार मण्डल के लोग आभार व्यक्त करते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने मंडी समितियों के अन्दर कारोबार करने वाले व्यापारियों, आढ़तियों पर 1.50 प्रतिशत मंडी शुल्क और 0.50 प्रतिशत मंडी सेस लगा दिया है, जिसकी वजह से मंडी का कारोबार चौपट होने के कगार पर आ गया है. वहीं मंडी प्रांगण के बाहर कारोबार करने पर न तो मंडी शुल्क और न ही लाइसेंस है. मंडी प्रांगण में कार्य करने पर इतना भारी भरकम टैक्स यह दोहरी व्यवस्था परेशानी का कारण है. सभी व्यापारियों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उक्त शुल्क 1.50 प्रतिशत और 0.50 प्रतिशत सेस को समाप्त कर मंडी आढ़तियों, व्यापारियों, कृषकों और श्रमिकों को राहत देने की मांग की है.

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