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झांसी : देश का पहला रीजेनरेटिव लोकोमोटिव भेल ने किया तैयार, ऊर्जा संरक्षण बढ़ाने में होगा कारगार - up news

झांसी भेल यूनिट में आयोजित एक कार्यक्रम में तैयार किेए गए पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. भेल ने आने वाले दिनों में रेलवे के अन्य लोकोमोटिव में इस तकनीकी को लगाकर ऊर्जा संरक्षण में कदम बढ़ाने का दावा किया है.

पहला रीजेनरेटिव लोकोमोटिव

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Published : Feb 10, 2019, 8:09 AM IST

झांसी : भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भेल की झांसी यूनिट ने देश का पहला रीजेनरेटिव लोकोमोटिव तैयार करने में सफलता हासिल की है. दरअसल डीसी मोटर पर चलने वाले वैग 7 लोकोमोटिव में डायनामिक ब्रेकिंग के दौरान बहुत सारी ऊर्जा गर्मी के रूप में बर्बाद हो जाती है. बीएचईएल द्वारा विकसित रीजेनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली से यह ऊर्जा 25 केवी ओवरहेड लाइन को वापस फीड की जाएगी. लोकोमोटिव इंजन में अपने तरह का यह पहला प्रयोग माना जा रहा है.

झांसी भेल यूनिट ने तैयार किया रीजेनरेटिव लोकोमोटिव.


झांसी भेल यूनिट में आयोजित एक कार्यक्रम में तैयार किेए गए पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. भेल ने आने वाले दिनों में रेलवे के अन्य लोकोमोटिव में इस तकनीकी को लगाकर ऊर्जा संरक्षण में कदम बढ़ाने का दावा किया है. भेल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भेल के अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक अतुल सोबती, रेलवे बोर्ड के मेम्बर ट्रेक्शन घनश्याम सिंह व रेलवे और भेल के अफसर व कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे.

इस मौके पर घनश्याम सिंह ने कहा कि 2030 तक हमारे सारे सोलर पावर प्लांट, सोलर फार्म और विंड पावर प्लांट लग जाएंगे. इससे जो ऊर्जा पैदा होगी, उसको हम अपने सिस्टम में उपयोग करेंगे. सपना यह देखा गया है कि भारतीय रेलवे विश्व की पहली ग्रीन रेलवे हो जो नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के द्वारा पैदा ऊर्जा पर निर्भर करेगी.

अतुल सोबती ने कहा कि पहले 5000 हॉर्स पावर वाले इंजन में ब्रेकिंग इनर्जी वेस्ट होती थी. हमे इस इनर्जी को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए रीजेनरेटिव सिस्टम तैयार करने की चुनौती दी गई थी. इससे ऊर्जा की जो बचत होगी, उससे इसके निर्माण में आई लागत तीन साल में वसूल हो जाएगी. अभी 2000 ऐसे लोकोमोटिव हैं, जिनमें यह सिस्टम लगाया जा सकता है.

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