सीतापुर:नैमिषारण्य का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व किसी से छिपा नहीं है. यहां की महिमा आदिकाल से रही है और इसका उल्लेख हिन्दू धर्म के तमाम धर्मग्रंथों में भी आया है. इसी नैमिषारण्य में एक प्रमुख स्थान है हनुमान गढ़ी.
अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी पूजा. क्या है हनुमान गढ़ी का महत्व-
- यह हनुमान गढ़ी देश के प्रसिद्ध तीन हनुमान गढ़ी में से एक है.
- अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी में हनुमानजी की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित है.
- प्रयागराज में संगम तट पर हनुमानजी लेटे हुए मुद्रा में है.
- नैमिषारण्य की हनुमान गढ़ी में उनकी खड़ी हुई विशाल दक्षिणमुखी प्रतिमा स्थापित है.
- यहां हनुमानजी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण विद्यमान हैं.
- वहीं पैरों के नीचे अहिरावण पड़ा है.
यहां के बारे में मान्यता है कि जब अहिरावण राम और लक्ष्मण की बलि देने के लिए उन्हें चुराकर पाताल लोक में ले गया था, तब हनुमानजी ने उसका वध करके राम-लक्ष्मण को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. पाताल लोक से आते समय हनुमानजी ने कुछ देर के लिए यही पर विश्राम किया था.
इस हनुमान गढ़ी को पंच पांडव हनुमान किला के नाम से भी पुकारा जाता है. बताया जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां रुककर हनुमानजी की पूजा-आराधना की थी. इसके चलते इसका नाम पंच पांडव किला पड़ा. हनुमान गढ़ी के महंत बजरंग दास का कहना है कि यहां के दर्शन मात्र से लोगों को शनि, राहु और केतु ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा मिलता है.