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लखनऊ में ही बनेगी जीएसटी ट्रिब्युनल की स्टेट बेंच - लखनऊ स्टेट बेंच

राज्य सरकार के जीएसटी ट्रिब्युनल की स्टेट बेंच का गठन प्रयागराज में किये जाने सम्बंधी प्रस्ताव को हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. दरअसल याचिका में सरकार के कॉमर्शियल टैक्स कमिश्नर की ओर से जीएसटी काउंसिल को 15 मार्च 2019 को भेजे गए प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी.  जिसमें स्टेट बेंच का गठन प्रयागराज में किये जाने की बात कही गई थी.

लखनऊ में ही बनेगी जीएसटी ट्रिब्युनल की स्टेट बेंच, कोर्ट ने प्रस्ताव किया खारिज

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Published : May 31, 2019, 10:35 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जीएसटी ट्रिब्युनल की स्टेट बेंच का गठन प्रयागराज में किये जाने सम्बंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. जहां न्यायालय ने पूर्व के प्रस्ताव के अनुसार ही स्टेट और एरिया बेंचों का गठन तीन माह में करने का आदेश दिया है. वहीं पूर्व के प्रस्ताव में लखनऊ में स्टेट बेंच और प्रयागराज समेत 20 शहरों में एरिया बेंचों के गठन की बात कही गई थी.

जानिए क्या है पूरा मामला

  • यह आदेश न्यायमूर्ति डीके अरोड़ा और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने अवध बार एसोसिएशन की ओर से दाखिल जनहित याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया.
  • याचिका में कॉमर्शियल टैक्स कमिश्नर की ओर से जीएसटी काउंसिल को 15 मार्च 2019 को भेजे गए प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी.
  • जिसमें स्टेट बेंच का गठन प्रयागराज में किये जाने की बात कही गई थी.
  • साथ ही 21 फरवरी 2019 के प्रस्ताव के अनुसार जीएसटी ट्रिब्युनल की स्टेट बेंच लखनऊ में स्थापित करने के लिए आदेश जारी किये जाने की भी मांग की गई थी.
  • याचिका में कहा गया था कि पूर्व में 21 फरवरी 2019 को एक प्रस्ताव बनाया गया था जिसमें जीएसटी ट्रिब्युनल की स्टेट बेंच को लखनऊ में स्थापित करने तथा प्रयागराज और अन्य जगहों पर एरिया बेंचों के गठन का प्रस्ताव था.
  • वहीं बाद में 15 मार्च 2019 को इसे बदलकर स्टेट बेंच प्रयागराज में गठित करने का प्रस्ताव भेजा गया.
  • न्यायालय ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि 21 फरवरी का प्रस्ताव तार्किक और विचारोपरांत तैयार किया गया है.
  • मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मानवाधिकार आयोग,आर्म्ड फोर्स ट्रिब्युनल और सर्विस ट्रिब्युनल समेत तमाम ट्रिब्युनलों और फोरम्स में पीठासीन अधिकारियों के कई पद खाली पड़े हैं.
  • इस वजह से वादकारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और साथ ही ट्रिब्युनलों में सुनवाई न हो पाने की दशा में हाईकोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है.
  • न्यायालय ने इस परिस्थिति का उल्लेख करते हुए, मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह स्वयं इस मामले को देखें और 12 सप्ताह में सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति सुनिश्चित करें.
  • न्यायालय ने 12 सप्ताह के बाद आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट भी कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश मुख्य सचिव को दिये हैं.

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