बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाये गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं. पिछले तीन महीनों में तकरीबन 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया है. ये हाल केवल एक केंद्र का है. कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है. महज सूखे भूसे के सहारे आश्रय स्थल में जी रहे जानवरों पर अब तेज धूप से की भी दोहरी मार पड़ रही है.
- जिन्हौली गांव में 10 फरवरी को पशु आश्रय स्थल की शुरुआत हुई थी.
- इसमें शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गौवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था.
- शासन के निर्देश पर आनन-फानन ये आश्रयस्थल जरूर बन गए, लेकिन इनमें पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई.
- बस कागजी काम पूरा करते हुए जानवरों को यहां लाकर ठूंस दिया गया.
- वहीं सूखे भूसे के सहारे जी रहे बेजुबान जानवर आखिरकार दम तोड़ने लगे.
- आज हालत यह है कि 50 जानवरों की मौत हो चुकी है. कागजों में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 160 बचे हैं.