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बाराबंकी: भ्रष्टाचार के खिलाफ किसान लामबंद, गरीब बच्चों से जबरन फीस वसूलने का आरोप - बाराबंकी समाचार

बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त अनियमितताओं के खिलाफ किसान लामबंद हो गए हैं. इनका आरोप है कि शिक्षा के अधिकार का कानून लागू होने के बावजूद गरीब बच्चों से जबरन फीस वसूली जा रही है. आक्रोशित किसानों ने इस मामले में कार्यवाई किये जाने की मांग को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है.

किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा

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Published : Jun 25, 2019, 7:05 PM IST

बाराबंकी: बेसिक शिक्षा विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रोशित किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. किसानों का आरोप है कि बीएसए अपने मातहतों के जरिये वसूली में लिप्त हैं. ट्रांसफर, पोस्टिंग और सत्यापन के नाम पर वसूली की जा रही है. गरीबो को निशुल्क शिक्षा देने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून बनाया गया था. इसके तहत सभी निजी विद्यालयों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है लेकिन निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं.

किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा.
किसानों ने सौंपा ज्ञापन:
  • मामला बाराबंकी जनपद का है जहां किसानों ने बीएसए पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है.
  • किसानों का आरोप है कि बीएसए कार्यालय में ट्रांसफर, पोस्टिंग और सत्यापन के नाम पर वसूली की जा रही है.
  • शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सभी निजी विद्यालयों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है लेकिन निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं.
  • शिक्षा सत्र शुरू होने के कई महीने बीत जाने के बाद भी पिछले वर्ष पाठ्य पुस्तकें नही उपलब्ध कराई गई थी.
  • अभी हाल ही में 5 करोड़ के एमडीएम घोटाले का खुलासा भी हुआ था.
  • इन सारी अनियमितताओं खिलाफ आक्रोशित किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है.
  • साथ ही किसानों ने चेतावनी भी दी है कि अगर समय रहते कोई ठोस कार्यवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन होगा.

क्या है शिक्षा का ‍अधिकार:
6से 14 की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियमबनाया. सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षा का अधिकार कानून पर अपनी मोहर लगाते हुए पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया. इस अधिनियम के पारित होने से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का संवैधानिक अधिकार मिला. इस कानून के तहत देश के हर 6 साल से 14 साल के बच्चे को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है. हर बच्चा पहली से आठवीं तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ेगा.

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