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मां दक्षिणेश्वरी काली शक्तिपीठ के दर्शन से ही होती हैं भक्तों की हर मुराद पूरी

जिला मुख्यालय राब‌र्ट्सगंज तहसील के समीप स्थित मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है. सोनभद्र की सीमा 4 राज्यों बिहार, झारखंड ,मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से लगी होने के कारण इन राज्यों के भी श्रद्धालु यहां अपनी मुराद पूरी करने के लिए आते हैं.

मां दक्षिणेश्वरी काली शक्तिपीठ

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Published : Apr 13, 2019, 1:55 PM IST

सोनभद्र: जिला मुख्यालय पर दंडइत बाबा मंदिर परिसर में मां दक्षिणेश्वर काली माता का भव्य मंदिर स्थित है. इस मंदिर की मान्यता है कि जिस कन्या का विवाह नहीं हो रहा है या फिर विवाह में कोई रुकावट या बाधा आ रही है तो मां दक्षिणेश्वर काली के दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है.

दक्षिणेश्वरी काली शक्तिपीठ में हर मुराद होती है पूरी.


दूर-दराज से मां काली के दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु

इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि यहां के मुख्य पुजारी द्वारा आरती के बाद मोरपंखी से स्पर्श करने से किसी भी तरह के रोग, विघ्न और बाधा मां काली दूर करती हैं. नवरात्रि के समय इस मंदिर में दूर-दराज से श्रद्धालु हजारों की संख्या में आते हैं.


मां दक्षिणेश्वर मंदिर इसलिए है खास

  • मां दक्षिणेश्वर काली कलकत्ता के अलावा सिर्फ यही पर विद्यमान है.
  • मां दक्षिणेश्वरी काली शक्तिपीठ का भव्य मंदिर दंडइत बाबा राब‌र्ट्सगंज के प्रांगण में विद्यमान है.
  • यहां पर मां के दर्शन मात्र से भक्तों की हर मुरादे पूरी हो जाती है.

मंदिर में दर्शन और आरती में शमिल होने आए भक्तों ने बताया कि महाकाली का यह स्वरूप कलकत्ता के अलावा सिर्फ यही पर विद्यमान है. यहां पर सोनभद्र ही नहीं पूरे पूर्वांचल के लोग मां के दर्शन के लिए आते है.


स्त्री के लिए खास है यह मंदिर

मां दक्षिणेश्वरी काली शक्तिपीठ के महंथ मृत्युंजय त्रिपाठी ने बताया कि जिन सौभाग्यवती स्त्रियों का विवाह किसी कारण वश नहीं हो रहा है या विलंब हो रहा हो यहां अनुष्ठान करने से उन्हें सौभाग्यवती बनने का यश प्राप्त होता है. साथ ही बताया कि यहां के पुजारी के स्पर्श मात्र से असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है.

मंदिर की स्थापना के बारे में महंथ ने बताया कि जब मैं कलकत्ता दर्शन करने गया था. वहां मां सपने में आईं थी और कहा कि हम तो तुम्हारे बगल में हैं वहां मेरी स्थापना कराओ, जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई.

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