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बरेली नगर निगम  बना अखाड़ा,  नगर आयुक्त और भाजपा मेयर में ठनी

बरेली में नगर आयुक्त और भाजपा मेयर इन दिनों आमने-सामने हैं. नगर आयुक्त ने मेयर की बनाई गई पोर्टेबल शॉप को हटवा दिया है. जिसके बाद से दोनों के बीच विवाद जारी है.

बरेली में नगर आयुक्त और भाजपा मेयर में ठनी.

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Published : May 13, 2019, 2:48 PM IST

बरेली : नगर निगम इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है. यहां भाजपा के मेयर और नगर आयुक्त में ठनी हुई है. मेयर जो भी प्रोजेक्ट लाना चाहते हैं नगर आयुक्त उसमें कोई ना कोई अड़ंगा लगा देते हैं. ऐसे में मेयर नगर आयुक्त आईएएस सैमुअल पॉल एन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

बरेली में नगर आयुक्त और भाजपा मेयर में ठनी.


क्यों छिड़ी है जंग

  • दरअसल बरेली के मेयर उमेश गौतम ने इंदिरा मार्केट में करीब 300 और जिला पंचायत रोड 70 पोर्टेबल शॉप लगवाई गई थी.
  • पोर्टेबल शॉप का उद्घाटन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने किया था. उस दौरान पोर्टेबल शॉप देखकर मंत्री काफी खुश हुए थे.
  • उन्होंने मेयर की तारीफ करते हुए इस प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में लागू करने को कहा था.
  • इस दौरान चुनाव आयोग ने नगर आयुक्त का ट्रांसफर कर दिया और आईएएस सैम्युअल पॉल को नगर आयुक्त बनाया गया. जिसके बाद उन्होंने पोर्टेबल शॉप को हटवा दिया.


नगर आयुक्त का कहना है कि

  • दुकान बनाने में कानून का पालन नहीं किया गया है. शिकायत मिलने के बाद जांच में उसमें काफी अनिमियतता पाई गई हैं.
  • जो भी लिखा पढ़ी में फाइल बनानी चाहिए उसमें ऐसा नहीं हुआ सीधे कॉन्टेक्टर के माध्यम से कुछ ना कुछ कार्रवाई की गई.
  • उन्होंने बताया कि इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट जांच कर रहे हैं और जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.


मेयर उमेश गौतम का कहना है कि

  • अधिकारिओं की काम करने की मानसिकता नहीं है. उनको जनता से कोई मतलब नहीं होता है.
  • जिस काम में उन्हें कमीशन मिलता है. वही सही है और जिसमें कमीशन नहीं मिलता है उसमें कमियां निकाल देते हैं.
  • भाजपा ने फेरी नीति के तहत सभी दुकानदारों को दुकान देने का वादा किया. हमने वह वादा पूरा करके सभी को पोर्टेबल शॉप देकर अपना वादा पूरा किया. उन्होंने बताया कि हमने फड़ वालों को दुकान बनाया है

फिलहाल बरेली के मेयर और बरेली के नगर आयुक्त की लड़ाई के बीच सबसे ज्यादा नुकसान छोटे छोटे व्यापारियों का होगा. जिनको दुकानें दी जानी हैं. वह सभी छोटे व्यापारी आस लगा कर बैठे हैं कि उनको यह दुकानें कब मिलेंगी और वह अपना काम कब शुरू कर सकेंगे.

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