सहारनपुर: जिले में कोरोना महामारी के इस भयानक दौर में मशहूर इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने अपने एक और अजीम सपूत को खो दिया है. दारुल उलूम देवबंद के कार्यवाहक मोहतमिम अमीरूल हिंद और जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद उस्मान मंसूरपुरी का कोरोना बीमारी के चलते गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में शुक्रवार दोपहर करीब 1:30 बजे निधन हो गया.
यह भी पढ़ें:मॉर्निंग वॉक पर गए युवक का शव नहर में मिला, हत्या की आशंका
76 साल की उम्र में हुआ निधन
विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के कार्यवाहक मोहतमिम व जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कारी उस्मान मंसूरपुरी का शुक्रवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में कोरोना से निधन हो गया. उनके निधन की खबर से दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलमा-ए-हिंद समेत इस्लामिक जगत और देश-दुनिया में फैले उनके लाखों चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है. मौलाना कारी उस्मान मंसूरपुरी पिछले 15 दिनों से बीमार थे. उनकी करोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी. उसके बाद से उनका लगातार देवबंद में स्थित आवास पर इलाज चल रहा था, लेकिन बुधवार को तबीयत ज्यादा बिगड़ने के कारण उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां शुक्रवार दोपहर 76 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली.
दिल्ली से लाया जा रहा शव
यह जानकारी उनके बेटों मुफ्ती सलमान मंसूरपुरी और मुफ्ती अफफान मंसूरपुरी ने दी. कारी उस्मान मंसूरपुरी के निधन से दारुल उलूम देवबंद और जमीअत उलमा-ए-हिंद को न सिर्फ बहुत बड़ा नुकसान हुआ है, बल्कि उनका इंतकाल पूरी उम्मत के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. उनके इंतकाल पर चारों तरफ शोक का माहौल है. उनके इंतकाल ने दारुल उलूम देवबंद और जमीअत उलमा-ए-हिंद सहित देश-दुनिया में फैले उनके लाखों चाहने वालों को गमगीन कर दिया. कारी उस्मान मंसूरपुरी के शव को दिल्ली से देवबंद लाया जा रहा है. देर शाम देवबंद में स्थित कासमी कब्रिस्तान में उन्हें सपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
कौन थे मौलाना कारी सैयद उस्मान मंसूरपुरी
कारी उस्मान मंसूरपुरी बेहतरीन व्यवहार के मालिक, इंसानियत नवाज, हमदर्द और नरमगो शख्स थे. उनकी बाकमाल शख्सियत अपने आप में बड़ी मिसाल थी. अपनी नेक दिली, नूरानी चेहरे और हर व्यक्ति से मुहब्बत करने की वजह से वह हर खास व आम में बेहद लोकप्रिय आलिम-ए-दीन थे. मुजफ्फरनगर के कस्बा मंसूरपुर में 12 अगस्त 1944 को जन्मे अमीर-उल-हिंद मौलाना कारी सैयद उस्मान मंसूरपुरी ने दारुल उलूम देवबंद में करीब 40 साल तक शिक्षा के साथ-साथ इंतजामी सेवाएं भी दी हैं. वह लंबे समय तक दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम रहे हैं. अक्टूबर 2020 में मजलिस-ए-शूरा ने कारी उस्मान मंसूरपुरी को दारुल उलूम देवबंद का कारगुजार मोहतमिम नियुक्त किया था. इसके अलावा वह तहफ्फुज खत्म नबूवत के नाजिम थे और कई विभागों के अध्यक्ष भी थे. प्रशासनिक तौर पर कारी उस्मान मंसूरपुरी को काफी सख्त माना जाता था.
परिवार में दी जाती थी इज्जत
कारी उस्मान मंसूरपुरी दारुल उलूम देवबंद में बड़ी जमातओं के वरिष्ठ उस्ताद थे. उनका सबक व उनकी शख्सियत छात्रों में बेहद लोकप्रिय थी. इतना ही नहीं बल्कि उन्हें इस्लामिक जगत में बेहद एहतराम की निगाह से देखा जाता था. साल 2006 में वह जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. उसी समय से वह अमीर उल हिंद के पद पर भी नियुक्त हैं और लगातार पिछले 15 सालों से वह इन पदों पर बहुत हुस्ने अखलाक से अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे थे. कारी उस्मान मंसूरपुरी मदनी खानदान के करीबी रिश्तेदारों में थे और उन्हें मदनी परिवार में बड़ी इज्जत दी जाती थी.