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निषाद जाति के वोट को लेकर गोरखपुर में मचा संग्राम

निषाद बिरादरी के दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप लगाने के लिए मीडिया का सहारा लिया और खुद को इस बिरादरी का सबसे बड़ा हिमायती होने का दावा करते रहे. दरअसल आसन्न लोकसभा चुनाव 2019 में दोनों नेता अपने पाले में इस बिरादरी को करने में जुटे हैं.

अमरेंद्र निषाद व उनकी माता पूर्व विधायक राजमती निषाद

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Published : Mar 7, 2019, 1:23 PM IST

गोरखपुर:पूर्वांचल की राजनीति में निषाद जाति के वोट बैंक को हथियाने को लेकर गोरखपुर के दो निषाद राजनीतिक घरानों में पैदा हुई टकराहट अब खुलेआम हो गई है. गोरखपुर के मौजूदा सांसद निषाद राज पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र हैं. पूर्व मंत्री जमुना निषाद के पुत्र और 2017 विधानसभा के चुनाव में पिपराइच विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके अमरेंद्र निषाद खुलकर बिरादरी के वोट को लेकर आमने-सामने आ गए हैं.

अमरेंद्र निषाद व उनकी माता पूर्व विधायक राजमती निषाद


अमरेंद्र निषाद ने अपनी माता पूर्व विधायक राजमती निषाद और समर्थकों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निषाद पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि निषादों के हित की बात करने और उनके जरूरतों को पूरा करने के इरादे से निषादराज पार्टी चुनावी मैदान में कूदी थी जिसे समाजवादी पार्टी ने अपना सिंबल भी प्रदान करते हुए सहयोग दिया था, लेकिन यह दल और उसके नेता सिर्फ अपने हित में लगे हुए हैं.

उन्होंने इस दौरान समाजवादी पार्टी को भी घेरा जो अपनों को पहचानने में भूल कर रही है. अमरेंद्र निषाद ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया, लेकिन यह नहीं बताया कि वह किस दल से लड़ेंगे. सूत्रों की मानें तो अमरेंद्र भाजपा में जा सकते हैं क्योंकि उनकी मुलाकात 5 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर सर्किट हाउस में हुई थी, जिसके बाद वह इस तरह के आक्रामक मूड के साथ निषाद पार्टी और उसके नेता को घेरने उतर पड़े हैं.

अमरेंद्र निषाद व उनकी माता पूर्व विधायक राजमती निषाद.
अमरेंद्र निषाद की पृष्ठभूमि निषाद बिरादरी के अगुवाई की रही है, लेकिन निषाद राज पार्टी के उद्भव के साथ इनका पराभव हुआ है. साथ ही इस पार्टी ने गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में अपने नेता इंजीनियर प्रवीण निषाद को सांसद भी जिता लिया है. अमरेंद्र के आरोपों पर निषाद राज पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि आरोप लगाने वाले खुद अपने गिरेबान में झांककर देखें कि उन्होंने इस बिरादरी का क्या भला किया है, जबकि सालों से यह लोग इन्हीं के परिवार पर भरोसा करते थे.

संजय निषाद ने कहा कि निषाद पार्टी ने निषादों की हक की लड़ाई लड़ी है. उन्हें आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन किया है. उन्हें मिले आरक्षण पर कोर्ट का आदेश भी जारी हुआ है, लेकिन तहसीलों से प्रमाण पत्र अभी भी जारी नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि बिरादरी के लोग सब देख रहे हैं कौन क्या कर रहा है. फिलहाल इन दो बड़े नेताओं की टकराहट का फायदा निश्चित ही कोई तीसरा उठाने में सफल होगा.

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