झांसी:बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य राजकुमार सिंह की बर्खास्तगी के मामले की जांच का जिम्मा सिटी मैजिस्ट्रेट को दिया गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने जिला प्रशासन को शिकायत कर आरोप लगाया था कि जातीय दुर्भावना के कारण बेबुनियाद आरोप लगाकर शिक्षक को नौकरी से निकाल दिया गया था.
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शिक्षक की बर्खास्तगी की सिटी मैजिस्ट्रेट करेंगे जांच
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले स्थित बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षक की बर्खास्तगी मामले की जांच सिटी मैजिस्ट्रेट को सौंपी गई है. आरोप लगाया गया है कि जातीय दुर्भावना के आधार पर विश्वविद्यालय के डीन और प्रोजक्ट निदेशक ने बेबुनियाद आरोप लगाकर शिक्षक को नौकरी से निकाला है.
मार्च में आईआईटी गए थे ट्रेनिंग पर
शिकायत के मुताबिक, राजकुमार सिंह बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉनिक्स एन्ड इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत थे. उनकी नियुक्ति केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एपीआईयू खंड के प्रोजेक्ट के तहत हुई थी. मार्च में नासकॉम के अनिवार्य प्रशिक्षण के लिए आईआईटी गुवाहाटी जाना पड़ा और वे लिखित सूचना देकर प्रशिक्षण पर गए थे.
सिटी मैजिस्ट्रेट ने शुरू की मामले की जांच
आरोप के मुताबिक, जब राजकुमार सिंह प्रशिक्षण से लौटकर आये तो विश्वविद्यालय के डीन और प्रोजेक्ट निदेशक ने बेबुनियाद आरोप लगाकर जातीय दुर्भावना के कारण उन्हें पद से हटा दिया. उच्च न्यायालय से बहाली का आदेश होने के बावजूद अभी तक उन्हें बहाल नहीं किया गया है. शिकायत के आधार पर डीएम ने इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा सिटी मैजिस्ट्रेट को दिया है. सिटी मैजिस्ट्रेट ने मामले की जांच शुरू कर दी है.