लखनऊ: लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में किया गया सपा-बसपा का गठबंधन सफल नहीं होने के बाद मायावती ने हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से दूरी बना ली. इसके बाद उन्होंने गठबंधन भी तोड़ने का ऐलान कर दिया था. वहीं अब मायावती ने एक बार फिर अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला है.
- सारे मतभेद भूलकर मैंने भी उन्हें परिवार माना: मायावती
12 फरवरी को मायावती ने जब बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन का ऐलान किया, तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जमकर तारीफ की थी. बसपा की राष्ट्रीय स्तर की मीटिंग में मायावती ने कहा कि गठबंधन के चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने मुझे फोन नहीं किया. सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया. मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिग के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनके परिवार के हारने पर अफसोस जताया.
एक ही झटके में महागठबंधन धड़ाम
लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन करने के दौरान मायावती ने यह भी ऐलान किया था कि यह गठबंधन 2022 में विधानसभा चुनाव तक बना रहेगा. चुनाव परिणाम आने के बाद मायावती ने जिस तरह से पहल करते हुए गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था. उनका वही अंदाज रविवार को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में भी दिखाई दिया. इस बैठक में अपने कैडर को समझाते हुए मायावती ने खुलकर कहा सपा को दलितों का वोट इसलिए ट्रांसफर नहीं हुआ क्योंकि उनकी सरकार के दौरान दलितों पर बढ़-चढ़कर अत्याचार हुआ था जो दलित समाज भुला नहीं सकता.
सपा ने मुसलमानों को टिकट देने से किया था मना
मायावती ने अखिलेश यादव के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने ज्यादा मुसलमानों को टिकट देने से यह कहकर मना कर दिया था कि इससे ध्रुवीकरण होगा और फायदा भाजपा को मिलेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कई जगह बसपा प्रत्याशियों को हराने का काम किया है.