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वाराणसी में पुस्तक वाचन दिवस का आयोजन, किताबों का बताया महत्व

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में शुक्रवार को सरकार के निर्देश पर पुस्तक वाचन दिवस का आयोजन किया गया. यह आयोजन सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में हुआ. वहीं आयोजन के दौरान पुस्तक का अध्ययन करके मिलने वाले ज्ञान पर चर्चा की गई.

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Published : Jun 19, 2020, 4:50 PM IST

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पुस्तक वाचक कार्यक्रम

वाराणसी: सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में शुक्रवार को पुस्तक वाचन दिवस मनाया गया. यह आयोजन छात्रों और आमजनों में अध्ययन में रुचि बढ़ाने के लिए किया गया है. आयोजित पुस्तक दिवस में अपने विचार रखते हुए कार्यक्रम संयोजक प्रो. हरिप्रसाद ने कहा कि पुस्तकों का अध्ययन हमारी भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं से निरंतर जुड़ा रहा है. लगभग एक दशक के बाद से जो नई पीढ़ी है, वह पुस्तक अध्ययन को छोड़कर अपना ध्यान मोबाइल और गूगल पर केंद्रित करते जा रहे हैं.

सरकार के निर्देश पर मनाया गया पुस्तक वाचन दिवस
आज आधुनिक स्वरुप में अब ऐसे विद्यालयों का निर्माण हो रहा, जहां पुस्तक रहित पढ़ाई हो रही है. ऐसे में यह विचारणीय है कि पुस्तकों के माध्यम से जो कण्ठस्थ ज्ञान था, वह लुप्त होता जा रहा है. उसका स्थान अब लैपटॉप और मोबाइल फोन ने ले लिया है. प्रो. हरिप्रसाद ने कहा कि आज हम भारतीय संस्कृति एवं संस्कार को भूलकर पश्चिमी सभ्यता से आच्छादित होते जा रहे हैं. शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की सरकार के निर्देश से पुस्तक अध्ययन दिवस मनाया जा रहा है.

पुस्तक के अध्ययन से मिलता है स्थायी ज्ञान
आयोजन की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हैं. आज हम लोग स्वंय अपने जीवन में अनुभव करते होंगे कि धीरे-धीरे पुस्तकों का अध्ययन छोड़कर गूगल या अन्य ऐप की दुनियां में समाहित होते जा रहे हैं. यह बहुत चिंता का विषय है. कुलपति प्रो शुक्ल ने कहा कि पुस्तकों से जो ज्ञान राशि है, वह गुरु के द्वारा लिखी गई है और वह उनके भाव का प्रसाद है. शिष्य-गुरु के समक्ष बैठकर पुस्तकों के माध्यम से और उनके मुख से प्राप्त ध्वनि के द्वारा जो ज्ञान ऊर्जा प्राप्त करते हैं, वह सदैव चिर स्थाई रहता है. अपने जीवन में ज्ञान के चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाता है. पुस्तक का अध्ययन करके जो ज्ञान प्राप्त होता है, वह सदैव स्थाई ज्ञान है.

पढ़े बनारस बढ़े बनारस कार्यक्रम
इसी क्रम में कुलसचिव राजबहादुर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार सदैव भारतीय संस्कृति और संस्कार को जागृत करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों की मुहिम चला रही है. इसके पूर्व पढ़े बनारस बढ़े बनारस कार्यक्रम को चलाकर पुस्तक अध्ययन एवं वाचन में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त हुई है. पुस्तक को हम सभी मां सरस्वती का स्वरूप मानते हैं. उसके अध्ययन से मनोवैज्ञानिक रूप से अपने मस्तिष्क पटल पर ज्ञान राशि स्थाई रूप से स्थापित हो जाती है.

कार्यक्रम के प्रारम्भ में जूम ऐप के माध्यम से विश्वविद्यालय परिवार और अन्य लगभग 479 लोगों ने एक साथ सामूहिक मंगलाचरण से प्रारम्भ किया. इसमें सभी लोगों ने श्रीमद भगवद गीताके 11 से 13 अध्याय का सामूहिक वाचन किया.

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